नकली दवाओं पर असली क्यूआर कोड! मेडिकल स्टोर चलाने वालों ने मुनाफा कमाने के लिए खरीदा… आम जनता से खिलवाड़
आगरा में पकड़ी गई नकली दवाओं पर असली दवाओं जैसे ही बैच नंबर और क्यूआर कोड पाए गए हैं। स्कैन करने पर असली कंपनी की जानकारी मिलती है पर कंपनियों ने इसे नकली बताया है। एफएसडीए इन दवाओं को बाजार से वापस मंगवा रहा है और नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। दवा कंपनियों के रिकॉर्ड भी जांचे जा रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आगरा से बरामद नकली दवाओं पर जो बैच नंबर और क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड मिले हैं, वही असली दवाओं पर भी हैं। इन क्यूआर कोड को स्कैन करने पर असली दवा कंपनी की जानकारी सामने आ रही है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि इसे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से कॉपी किया गया है, दवाएं हमारी नहीं हैं।
हालांकि, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) इन्हीं के आधार पर पूरे प्रदेश में दवाओं को वापस मंगा रहा रहा है। इन सभी के सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे जाएंगे। इसके अलावा दवा कंपनी और दवा एजेंसियों से जारी हुए ईवे (इलेक्ट्रानिक वे) बिल, जीएसटी, बिक्री व भंडारण का रिकार्ड भी चेक किया जा रहा है।
आगरा से बरामद एलर्जी व ब्लड प्रेशर की दवाएं दो बड़ी नामी कंपनियां बनाती हैं। इनकी बाजार में सबसे ज्यादा मांग हैं। एक दवा व्यवसायी के अनुसार एलर्जी की दवाएं कई कंपनियां बनाती हैं, लेकिन जो दवा आगरा से बरामद हुई है, वह सबसे अधिक दाम में बिकती है।
अन्य दवाएं उससे चौथाई दाम पर मिल जाती हैं। इसीलिए महंगी दवा को ही नकली बनाकर बाजार में उतार दिया गया। असली कंपनी की तरह का बैच नंबर और क्यूआर कोड होने के कारण उसे बाजार में बेचने में भी दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि इसमें अतिरिक्त छूट दी गई।
अधिक लाभ कमाने के लिए दवा दुकानदारों ने भी उसे खरीद लिया। इसी के चलते अब बैच और क्यूआर कोड की दवाओं को वापस लिया जा रहा है।
एक सप्ताह में आ जाएगी दवाओं की जांच रिपोर्ट
आगरा से पकड़ी गई दवाओं के 30 नमूने जांच के लिए राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला लखनऊ भेजे गए हैं। इनकी जांच के लिए फार्मा कंपनियों से दवाओं के निर्माण के मानक मंगाए गए थे। नमूनों की जांच इन्हीं मानकों के आधार पर की जाएगी। इससे दवा के नकली या असली या फिर घटिया गुणवत्ता का होने का पता चल जाएगा।
औषधि नियंत्रक शशि मोहन गुप्ता का कहना है कि नमूनों की जांच रिपोर्ट अब एक सप्ताह में आ जाएगी। इसके बाद कार्रवाई की दिशा तय होगी। अभी सिर्फ बाजार में पहुंच गई दवाओं के निर्माण, भंडारण और खरीद के साक्ष्य इकट्ठा करने के साथ ही उन्हें वापस मंगाकर सील किया जा रहा है।
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