यूपी में इस फर्जी IAS के पास हैं मर्सिडीज से डिफेंडर तक 6 बड़ी गाड़ियां, कहां से आई? अब खुलीं सारी परतें
फर्जी आईएएस सौरभ त्रिपाठी के खिलाफ शिकायत करने से लोग डरते थे क्योंकि उसने लोगों पर अपना प्रभाव फैला रखा था। उसने कार मालिकों से उनकी कारें सरकारी विभागों में अटैच कराने के नाम पर ली थीं। पुलिस ने उसके पास से कई गाड़ियाँ लैपटॉप और सरकारी विभागों की मुहरें बरामद की हैं। वह महंगे होटलों में प्रोजेक्ट दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था।

जासं, लखनऊ। फर्जी आइएएस सौरभ त्रिपाठी ने अपना प्रभाव लोगों के बीच इस कदर फैला रखा था कि उसके खिलाफ शिकायत करने से लोग हिचकते थे। यह बात पुलिस के सामने तब आई जब उन्होंने कार मालिकों से संपर्क किया।
कार मालिकों ने पुलिस को बताया कि सौरभ ने विभाग से अटैच कराने के नाम पर उनकी कार ली थी। अब वे लोग सौरभ के खिलाफ लिखित शिकायत देने की तैयारी कर रहे हैं। इंस्पेक्टर वजीरगंज राजेश त्रिपाठी ने बताया कि तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके बाद पुलिस कस्टडी रिमांड लेकर सौरभ से पूछताछ करेगी।
पुलिस ने बताया कि सौरभ के पास से मर्सिडीज, डिफेंडर, फार्च्यूनर समेत कुल छह गाड़ियां बरामद हुई हैं। जांच में पता चला कि डिफेंडर कार बिहार की है और मर्सिडीज कार दिल्ली की है, जबकि शेष बची कारें लखनऊ के डीलर की हैं।
सभी कार मालिकों से विवेचकों ने संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष पहले उनकी सौरभ से मुलाकात हुई थी। सौरभ ने खुद को आइएएस बताया और कहा कि विभागों में अधिकारियों के लिए महंगी गाड़ियां लगनी हैं, जिससे अच्छा पैसा मिलेगा।
उसने अपने गनर और पीएस दिखाकर विश्वास दिलाया, जिसके बाद सभी ने अपनी गाड़ियां उसे दे दीं। इसके बदले उसने कुछ लोगों को डेढ़ लाख और कुछ को दो लाख रुपये दिए, जबकि बाकी रकम के लिए विभाग से मिलने पर देने की बात कही। अब कार मालिक सौरभ के खिलाफ शिकायत करने की बात कह रहे हैं।
इंस्पेक्टर ने बताया कि कार मालिकों की तहरीर पर भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा ताकि आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा, विवेचक सौरभ की पुलिस कस्टडी रिमांड लेगा ताकि और भी जानकारी जुटाई जा सके।
महंगे होटल में प्रोजेक्ट का देता था लालच
पुलिस ने सौरभ के पास से दो लैपटाप और दस से अधिक विभागों की मोहरें बरामद की हैं। इनमें एलडीए और आवास विकास समेत कई सरकारी विभागों की मोहरें शामिल हैं। इसके अलावा, तीन से चार फर्जी प्रोजेक्ट फाइलें भी बरामद हुई हैं।
जांच में पता चला है कि सौरभ लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के महंगे होटलों में बिल्डरों और अन्य लोगों को मीटिंग के लिए बुलाता था। वह प्रोजेक्ट दिलाने के नाम पर उनसे ठगी करता था। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह किन-किन लोगों के संपर्क में था और कितने लोगों को उसने ठगा है।
किसकी रिपोर्ट पर मिली सुरक्षा, अबतक नहीं हुआ साफ
सौरभ ने सुरक्षा के लिए मेल किया था, जिसके बाद पुलिस ने लोकल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट मांगी थी कि संबंधित व्यक्ति को सुरक्षा की जरूरत है या नहीं। अब सवाल यह उठ रहा है कि किसने उसकी रिपोर्ट लगाई थी कि उसे तीन सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराए गए थे। इसका जवाब पुलिस के पास अभी तक नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।