UP News: लैब टेक्नीशियन फर्जीवाड़ा मामले में पुलिस ने मांगे दस्तावेज, छह जिलों में हुई है फर्जी नियुक्ति
लखनऊ में लैब टेक्नीशियन अर्पित सिंह के नाम पर छह जिलों में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और निदेशक पैरामेडिकल से दस्तावेज मांगे हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय के अनुसार नियुक्ति पाने वालों का पुन सत्यापन कराया जाएगा। जांच में सीएमओ कार्यालय और स्वास्थ्य महानिदेशालय की चूक उजागर हो सकती है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लैब टेक्नीशियन अर्पित सिंह के नाम पर छह अन्य जिलों में फर्जी तरीके से नियुक्ति लेने के मामले में स्वास्थ्य महानिदेशालय की जांच टीम और पुलिस ने कार्रवाई शुरू की दी है। एफआइआर के बाद पुलिस ने निदेशक पैरामेडिकल डाॅ. रंजना खरे से सभी दस्तावेज मांगे हैं।
इसमें मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) से मंगाए गए नियुक्ति पत्र, आधार कार्ड, वेतन जारी करने की जानकारी व अन्य प्रमाण पत्र शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस ने नियुक्ति प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी मांगी है। अधिकारियों और लिपिकों से भी पुलिस पूछताछ करेगी।
उधर स्वास्थ्य महानिदेशालय के सूत्रों के अनुसार अर्पित सिंह पुत्र अनिल कुमार सिंह के नाम से नियुक्ति लेने वालों का बांदा, फर्रुखाबाद, बलरामपुर, शामली, रामपुर, अमरोहा के सीएमओ को दोबारा सत्यापन कराना होता है।
स्वास्थ्य महानिदेशालय से निदेशक पैरामेडिकल नियुक्ति की जानकारी और चयनित अभ्यर्थियों की सूची संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ)/ मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस) को भेजी जाती है।
चयनित व्यक्ति अपने प्रमाण पत्र लेकर संबधित सीएमओ/सीएमएस के पास पहुंच कर अपना योगदान देता है। इसके बाद उसके प्रमाण पत्र को सत्यापन के लिए वापस स्वास्थ्य महानिदेशालय भेजा जाता है। जिससे कि किसी तरह के फर्जीवाड़े की संभावना न रहे। इसके बावजूद 2016 में एक नहीं तीन अलग-अलग नामों से कई जिलों में नियुक्तियां हो गईं।
एक पूर्व सीएमएस बताते हैं कि नियुक्ति पत्र का सत्यापन और मानव संपदा पोर्टल पर जानकारी अपडेट करने के मामले में सीएमओ कार्यालय और स्वास्थ्य महानिदेशालय से कुछ न कुछ गड़बड़ी हुई है। कई स्तर से नियुक्ति प्रक्रिया का सत्यापन होता है, ऐसे में एक ही नाम से कई लोग कैसे नौकरी करते रहे। सही से जांच होने पर गड़बड़ी का खुलासा हो जाएगा।
गौरतलब है कि अर्पित सिंह के नाम से छह लोग अलग-अलग जिले में 2016 से नौकरी कर रहे थे। इस मामले का खुलासा जन सूचना के अधिकार से हुआ तो सभी फर्जी अर्पित के खिलाफ निदेशक पैरामेडिकल ने लखनऊ के वजीरगंज थाने में सोमवार को एफआइआर कराई गई थी।
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