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संक्रामक रोगों का दौर शुरू, डायरिया से बचने के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान

हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. संदीप चौधरी ने डायरिया और पीलिया बीमरी से बचने के उपाय बताए। दैनिक जागरण आपको उन बातों से रूबरू करा रहा है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:04 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 12:21 PM (IST)
संक्रामक रोगों का दौर शुरू, डायरिया से बचने के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान
संक्रामक रोगों का दौर शुरू, डायरिया से बचने के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान

लखनऊ, जेएनएन। संक्रामक रोगों का दौर शुरू हो गया है। वायरल फीवर के साथ-साथ डायरिया और पीलिया के मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसे में दस्त आने पर शरीर में पानी की कमी न होने दें। बच्चे, युवा हों या बुजुर्ग, गर्मी में सेहत के प्रति सभी सतर्क रहें। गुरुवार को हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. संदीप चौधरी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने पाठकों को बीमारियों से बचाव के उपाय बताए।

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सवाल : चार दिन से उल्टी हो रही है। पेशाब का रंग पीला हो गया है। क्या करें। (शैलेंद्र, अंबेडकर नगर)

जवाब : पेशाब का रंग पीला होना पीलिया का लक्षण है। ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराएं। अत्यधिक तैलीय खाद्य पदार्थो के सेवन से परहेज करें।

सवाल : पीलिया क्या होता है। इसके क्या लक्षण हैं। (तीरथ राज, कुंडा) 

जवाब : पीलिया में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है। लिवर सही से काम नहीं करता है। आंखों में पीलापन, पेशाब पीला होना, पेट में दर्द, त्वचा में पीलापन और उल्टी आना आदि लक्षण होते हैं।

सवाल : छोटे बच्चों में डायरिया की बीमारी कैसे पता चलेगी। (रिंकू, अयोध्या) 

जवाब : बार-बार पतले दस्त आना डायरिया का लक्षण है।

सवाल : खून की जांच करवाई है। इसमें टीएलसी बढ़ा है। इसे क्या समङों। (अंबरीश, गोंडा) 

जवाब : इसे टोटल ल्यूकोसाइट काउंट कहते हैं। इसकी रीडिंग सामान्य न होने का मतलब शरीर में संक्रमण बढ़ा है। चिकित्सक से संपर्क कर इलाज कराएं।

सवाल : छोटी बेटी है। उम्र के हिसाब से उसका वजन नहीं बढ़ रहा है। (ममता, गुप्ता) 

जवाब : बच्ची को कीड़ा की दवा दें। साथ ही पौष्टिक आहार दें। किसी सीरप के बजाए सब्जी का सूप, फलों का रस, दाल का पानी, सत्तू का घोल आदि का सेवन कराएं।

सवाल : एक ही वक्त खाना खाता हूं। पेट में भारीपन रहता है। गैस बनी रहती है। (सुखीराम, अंबेडकर नगर) 

जवाब : अधिक देर खाली पेट न रहें। थोड़ा-थोड़ा कर कई बार में खाना खाएं। मिर्च, मसाला, खटाई का सेवन न करें। दही, मट्ठा आदि को खाने में शामिल करें।

सवाल : गर्मियों में खुजली की समस्या बढ़ जाती है। क्या करें। (मो. हनीफ, लखीमपुर) 

जवाब : शारीरिक साफ-सफाई रखें। कपड़े ठीक तरीके से सुखाकर पहनें। जिस वस्तु से एलर्जी हो, उससे बचें।

सवाल : एक वर्ष हो गया, पीलिया से छुटकारा नहीं मिल रहा है। (पवन, सीतापुर) 

जवाब : जांच कराएं। इसमें देखें कि हेपेटाइटिस ए, बी या सी में से क्या है। एक वर्ष से ठीक न होना लिवर संबंधी गंभीर बीमारी हो सकती है।

सवाल : पांच वर्ष का बेटा है। अक्सर पेट दर्द की समस्या रहती है। (शालिनी, इंदिरा नगर) 

जवाब : बच्चे को कीड़े की दवा दें। इसके अलावा ब्लड टेस्ट कराकर इंफेक्शन को क्लियर कर लें। पेट का एक अल्ट्रासाउंड भी एक बार करा लें।

सवाल : टायफायड बुखार बार-बार हो जाता है, क्या करें। (प्रियंका, बाराबंकी) 

जवाब : टायफायड में दवा का कोर्स ब्रेक न करें। डॉक्टर द्वारा लिखी गई पूरे दिन की दवा लें। बुखार कम होने पर स्वत: दवा छोड़ देने पर दोबारा बुखार का खतरा रहता है।

सवाल : शरीर में चकत्ते पड़ जाते हैं, क्या करें। (रमाशंकर, रायबरेली) 

जवाब : आमतौर पर यह पेट में कीड़े की वजह से होता है। इसकी दवा ले लें। एक ब्लड टेस्ट करा लें।

रहें सावधान:

  • अत्यधिक तैलीय खाद्य पदार्थो का सेवन न करें
  • फास्ट फूड व बासी खाना से परहेज करें
  • सड़क किनारे पूड़ी-सब्जी, कटे फल खाने से बचें
  • पना, बेल का सरबत ठेले पर पीने से पहले साफ-सफाई का ध्यान रखें
  • पानी के बताशे, पार्टी में खाना संभल कर खाएं
  • अत्यधिक कोल्ड डिंक व आइसक्रीम खाने से बचें
  • फ्रिज व बर्तन की साफ-सफाई अच्छी तरह से करें
  • बाहर का पानी पीने से बचें। धूप में शरीर को ढक कर निकलें
  • एसी से अचानक धूप व धूप से अचानक एसी में आने से बचें
  • घर में सब्जी को अच्छी तरह धुलें और ठीक से पकाकर खाएं।

इन बीमारियों से रहें सतर्क

  • वायरल फीवर : बदन में दर्द, बुखार, भूख कम लगना, चिड़चिड़ापन
  • टायफायड : धीरे-धीरे बुखार चढ़ाना, शरीर में धीरे-धीरे कमजोर आना, तिल्ली बढ़ना
  • मलेरिया : कंपकंपी के साथ बुखार आना, पसीना बहना
  • डायरिया : बार-बार दस्त आना, पेट में ऐंठन
  • पीलिया : आंख में पीलापन, पेशाब में पीलापन, पेट में दायीं ओर दर्द होना, मिचली, उल्टी, त्वचा में पीलापन

डायरिया कब बनता है जानलेवा

डायरिया व्यक्ति के लिए जानलेवा बन जाता है। खासकर हर वर्ष तमाम बच्चों को यह बीमारी लील जाती है। इसमें बार-बार दस्त आने पर मरीज को तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। शरीर में पानी की कमी बिल्कुल न होने दें। ऐसा होने से कोशिकाओं को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाता है। शारीरिक क्रियाएं बाधित होने लगती है। इसमें होंठ सूखना, मुंह सूखना, त्वचा में रूखापन, बेचैनी, घबराहट के साथ-साथ व्यक्ति की आंखें धंसने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति अचानक बेहोशी की हालत में चला जाता है। यह स्थिति जानलेवा बन जाती है।

डायरिया में पिएं पानी-शिकंजी

डायरिया होने पर खूब पानी पिएं। नींबू-चीनी की शिकंजी बनाएं। ओआरएस का घोल, चावल का माड़, मट्ठा का सेवन करें। शरीर में क्रियांए बाधित हों तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। उनके कहे अनुसार ही दवाएं लें।


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