युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए यूपी बिजलीकर्मियों ने लिया बड़ा फैसला, निजीकरण आंदोलन स्थगित
उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आंदोलन भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण 14 मई तक स्थगित कर दिया गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और संघर्ष समिति ने सरकार से बिजली कंपनियों के निजीकरण का निर्णय वापस लेने का आग्रह किया है। संघर्ष समिति का सात दिवसीय क्रमिक अनशन भी समाप्त हो गया।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बिजली निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा किया जा रहा आंदोलन भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए 14 मई तक टाल दिया गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और संघर्ष समिति ने युद्ध जैसे हालात को देखते हुए सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन से बिजली कंपनियों के निजीकरण का निर्णय वापस लिए जाने की मांग की है।
शुक्रवार को जारी बयान में संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजलीकर्मी पूरी तरह से सरकार के समर्थन में खड़े हैं। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए। शुक्रवार को संघर्ष समिति का सात दिवसीय क्रमिक अनशन भी समाप्त हो गया।
सरकार से की ये मांग
दूसरी तरफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने युद्ध की स्थिति को देखते हुए 42 जिलों की बिजली के निजीकरण का निर्णय तत्काल वापस लिए जाने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा है कि बिजली कंपनियों द्वारा 2025-26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल किया जा चुका है, ऐसे में 31 मार्च 2026 तक कानूनी तौर पर बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जा सकता है।
वर्मा ने बताया है कि शुक्रवार को उन्होंने निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग से सलाहकार कंपनी के मामले में बात की। जिसमें नारंग ने उनसे बताया कि सलाहकार कंपनी के मामले में विधिक राय ली जा रही है यह पूरा मामला बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद सलाहकार कंपनी के शपथपत्र के मामले में रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।