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    आधुनिक तकनीक की ढाल से सशक्त यूपी पुलिस: सुरक्षा, सेवा और जनविश्वास का नया युग

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 09:54 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश पुलिस में 2017 के बाद से आधुनिकीकरण को मिशन बनाया गया है। डिजिटल उपकरणों, AI आधारित निगरानी और फोरेंसिक बुनियादी ढांचे से पुलिसिंग का तरी ...और पढ़ें

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    डिजिटल टीम, लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिसिंग आज एक युगांतकारी परिवर्तन के दौर से गुज़र रही है। एक समय था जब यह बल तकनीकी पिछड़ेपन, संसाधनों की कमी और धीमी प्रतिक्रिया प्रणाली के कारण आम जनता के विश्वास को पूरी तरह जीतने में संघर्ष कर रहा था। लेकिन, 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस ने आधुनिकीकरण को केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक मिशन के रूप में अपनाया है।

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    आज, राज्य की पुलिस बल अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निगरानी तंत्रों और एक मजबूत फोरेंसिक बुनियादी ढांचे से लैस है। यह बदलाव पुलिसिंग के पारंपरिक मॉडल को ध्वस्त कर एक नया प्रतिमान स्थापित कर रहा है, जहाँ अपराध होने के बाद की कार्रवाई की जगह, अपराध को होने से पहले रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह लेख बताता है कि कैसे तकनीक और सुदृढ़ प्रशासनिक इच्छाशक्ति ने यूपी पुलिस को एक जवाबदेह, पारदर्शी और संवेदनशील बल में बदल दिया है, जो सुरक्षित भविष्य की आधारशिला रख रहा है।

    तकनीक के दम पर बदली पुलिसिंग की तस्वीर
    उत्तर प्रदेश पुलिस में हुए ये व्यापक बदलाव कई मोर्चों पर दिखते हैं, जो पूर्व की कमज़ोर व्यवस्था से स्पष्ट अंतर स्थापित करते हैं:

    सेफ सिटी और ऑपरेशन त्रिनेत्र: निगरानी का अभेद्य चक्र

    सेफ सिटी परियोजना: महिला सुरक्षा के लिए यह योजना अब 17 नगर निगमों और गौतमबुद्धनगर में एक ठोस रूप ले चुकी है। इसके तहत 47,422 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और 4,150 'डार्क स्पॉट' को रोशन किया गया है। यह दिखाता है कि सुरक्षा अब कागज़ों से निकलकर ज़मीनी हकीकत बन चुकी है।

    ऑपरेशन त्रिनेत्र: जुलाई 2023 से शुरू इस पहल के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी से प्रदेश भर में 11 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की लाइव फीड से पुलिस को डकैती-लूट जैसी 5,700 से अधिक गंभीर घटनाओं को सुलझाने में अभूतपूर्व सफलता मिली है। यह तकनीक-आधारित निगरानी अपराध पर तत्काल रोक लगाने में सक्षम है।

    डिजिटल फर्स्ट पुलिसिंग और पारदर्शिता

    UPCOP ऐप: वह समय बीत गया जब एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर लगाने पड़ते थे। आज UPCOP ऐप के माध्यम से नागरिक बिना थाने गए ऑनलाइन एफआईआर समेत 27 पुलिस सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

    पारदर्शी व्यवस्था: शिकायत निस्तारण और केस मॉनिटरिंग के लिए समर्पित पोर्टल ने पुलिसिंग प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह बनाया है।

    फॉरेंसिक विज्ञान में क्रांतिकारी प्रगति

    प्रयोगशालाओं का विस्तार: 2017 से पहले केवल 4 विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थिति से उबरकर, अब प्रदेश में 12 आधुनिक फॉरेंसिक लैब कार्यरत हैं और 6 नई निर्माणाधीन हैं। इससे जाँच की गति और गुणवत्ता में तेज़ी आई है, जिसका सीधा सकारात्मक असर सजा की दर पर पड़ेगा।

    NAFIS में राष्ट्रीय नेतृत्व: NAFIS (National Automated Fingerprint Identification System) के तहत फिंगरप्रिंट आधारित पहचान में उत्तर प्रदेश आज देश में पहले स्थान पर है, जो आधुनिक जांच क्षमताओं का प्रमाण है।

    यूपी-112: तीव्र प्रतिक्रिया का बेंचमार्क

    तेज प्रतिक्रिया समय: आपात सेवा यूपी-112 पुलिस की त्वरित कार्रवाई का सबसे बड़ा उदाहरण है। पूर्व में, औसत प्रतिक्रिया समय एक घंटे से अधिक था, जो अब घटकर केवल 6 मिनट 50 सेकंड रह गया है।

    आधुनिक बेड़ा: 4,800 पीआरवी (पुलिस रिस्पांस व्हीकल) 24×7 सेवा दे रहे हैं और इन पर लगे बॉडी वॉर्न कैमरों ने पुलिस-नागरिक इंटरैक्शन में पारदर्शिता सुनिश्चित की है।

    उत्तर प्रदेश पुलिस अब अतीत के संसाधनों और इच्छाशक्ति की कमी को पीछे छोड़ चुकी है। यह आधुनिक तकनीक, तीव्र कार्रवाई और जन-केंद्रित सेवाओं के नए मानक स्थापित कर रही है। यह प्रगति न केवल राज्य को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि यूपी अब अव्यवस्था से निकलकर सुरक्षित और सशक्त भविष्य की ओर पूरी तेज़ी से बढ़ रहा है।