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    UP News: बिजली निजीकरण के दस्तावेजों को सार्वजनिक करे सरकार, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने की मांग

    Updated: Tue, 26 Aug 2025 09:28 AM (IST)

    विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली कंपनियों के निजीकरण के दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की है। समिति ने निजीकरण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पारदर्शी नहीं है। आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन की भूमिका पर संदेह व्यक्त करते हुए इसकी फंडिंग की जांच की मांग की गई है।

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    बिजली निजीकरण के दस्तावेजों को सार्वजनिक करें सरकार

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली कंपनियों के निजीकरण दस्तावेज के साथ ही ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट को जनहित में सार्वजनिक किए जाने की मांग सरकार से की है।

    समिति ने केंद्र में अटल सरकार के दौरान ऊर्जा सचिव रहे ईएएस शर्मा के हवाले से आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन की निजी घरानों से संलिप्तता व फंडिंग पर सवाल खड़े किए हैं।

    समिति ने कहा है कि प्रदेश के 42 जिलों की बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। मुख्यमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें। समिति ने कहा है कि विद्युत नियामक आयोग को निजीकरण के लिए जो आरएफपी डाक्यूमेंट भेजा है, उसमें निजीकरण का आधार ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट-2025 लिखा गया है। यह डाक्यूमेंट न तो पब्लिक डोमेन में है और न ही इसे केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है।

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    इसे राज्य सरकारों और विद्युत वितरण निगमों को भी नहीं भेजा गया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि शर्मा ने आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन को ई-मेल भेजा है जिसमें आश्चर्य व्यक्त करते हुए लिखा है कि डिस्काम एसोसिएशन निजीकरण व स्मार्ट मीटर आपूर्ति करने वाली कंपनियों की पैरवी करेगी। ऐसे में एसोसिएशन की फंडिंग की जांच करने की जरूरत है।

    सलाहकार कंपनी को डालें काली सूची में

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए तय 145 दिन की समय सीमा समाप्त हो गई है। अब प्रदेश सरकार और पावर कारपोरेशन को यह मान लेना चाहिए कि निजीकरण का निर्णय गलत साबित हुआ।

    निजीकरण का मसौदा रद्द करते हुए बिजली निगमों को सरकारी क्षेत्र में ही चलाने का निर्णय लिया जाना चाहिए। निजीकरण के लिए नियुक्त सलाहकार कंपनी तय अवधि में खुद को साबित करने में असफल रही है।

    मांग की है कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे काली सूची में शामिल किया जाना चाहिए। सलाहकार कंपनी को 25 मार्च को नियुक्त किया गया था।