यूपी में शहरी उपभोक्ताओं को लगेगा बिजली का बड़ा झटका, स्लैब परिवर्तन से महंगी होगी बिजली
बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को नियामक आयोग से जल्द मिल सकती है हरी झंडी। प्रस्ताव के विरोध में उतरा उपभोक्ता परिषद। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियां चोर दरवाजे से बिजली महंगी करना चाहती हैं

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। महंगाई की मार से परेशान बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगी बिजली का झटका लग सकता है। अबकी बिजली की दरों में सीधे तौर पर बढ़ोतरी की तो उम्मीद नहीं है लेकिन मौजूदा स्लैब में परिवर्तन से उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ना तय है। सर्वाधिक झटका शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को लगेगा। सिंचाई की बिजली दरें, लाइफ लाइन और गांव के घरेलू उपभोक्ताओं का 300 यूनिट तक बिजली का खर्चा बढ़ने की उम्मीद फिलहाल नहीं हैं।
बिजली कंपनियों ने चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के साथ बिजली दर का प्रस्ताव तो विद्युत नियामक आयोग में दाखिल नहीं किया है लेकिन मौजूदा स्लैब में परिवर्तन का प्रस्ताव आयोग को सौंप रखा है। आयोग इसी माह प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए उस पर जन सुनवाई और राज्य सलाहकार समिति की बैठक करने जा रहा है।
माना जा रहा है कि प्रस्ताव को जून में ही अंतिम रूप देकर जुलाई से लागू कर दिया जाएगा। चूंकि बिजली दर बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव आयोग में दाखिल नहीं किया गया है इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग अपने स्तर से दरें नहीं बढ़ाएगा लेकिन कंपनियोंं द्वारा विभिन्न श्रेणियों के विद्युत उपभोक्ताओं के 80 स्लैब को घटाकर 53 करने के प्रस्ताव को आयोग मंजूरी दे सकता है। ऐसे में बिजली की खपत बढ़ने के साथ ही बिजली का खर्चा बढ़ना तय है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश वर्मा का कहना है कि पूर्व में स्लैब परिवर्तन का प्रस्ताव आयोग खारिज कर चुका है लेकिन कंपनियों ने एक बार फिर स्लैब परिवर्तन प्रस्तावित किया है। इस तरह से प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियां चोर दरवाजे से बिजली महंगी करना चाहती हैं जिससे लगभग सभी उपभोक्ताओं का बिजली का खर्चा बढ़ना तय है।
कंपनियों के स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव का विश्लेषण करने पर स्पष्टतौर पर पता चलता है कि लगभग 90 लाख घरेलू शहरी (लाइफ लाइन उपभोक्ताओं को छोड़) व शहरी दुकानदारों सहित अन्य उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी। घरेलू ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली भी 300 यूनिट के ऊपर महंगी होगी।
अभी घरेलू उपभोक्ताओं की शहरी क्षेत्र में चार स्लैब लागू हैं लेकिन स्लैब परिवर्तन में यूनिट घटाकर कम स्लैब बनाए गए हैं जिससे बिजली की खपत बढ़ते ही उपभोक्ताओं का बिजली का खर्चा स्वतः बढ़ जाएगा। वर्मा ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए सरकार से मांग की है कि जब कंपनियों पर उपभोक्ताओं का लगभग 22,045 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है तब फिर बिजली की दरों में कमी की बात क्यों नहीं की जा रही है?
प्रतिमाह यूं बढ़ेगा बिजली का खर्चा
- घरेलू शहरी - मौजूदा स्लैब में - प्रस्तावित स्लैब में - बढ़ा खर्चा
- एक किलोवाट 150 यूनिट 935 960 25
- दो किलोवाट 200 यूनिट 1345 1395 50
- दो किलोवाट 250 यूनिट 1645 1720 75
- तीन किलोवाट 300 यूनिट 2055 2155 100
- चार किलोवाट 400 यूनिट 2815 2965 150
- पांच किलोवाट 500 यूनिट 3575 3775 200
- शहरी दुकानदार - मौजूदा स्लैब में - प्रस्तावित स्लैब में – बढ़ा खर्चा
- दो किलोवाट 300 यूनिट 2910 3090 180
- चार किलोवाट 400 यूनिट 4530 5620 1090
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