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    मुख्य निर्वाचन अधिकारी की सुनवाई में 45 में से 24 दल ही रहे उपस्थित, भारत निर्वाचन आयोग भेजी जाएगी रिपोर्ट

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 03:04 AM (IST)

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में 45 पंजीकृत दलों में से केवल 24 उपस्थित थे। बैठक आगामी चुनावों की तैयारियों पर केंद्रित थी। निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया। अनुपस्थित दलों के कारणों का पता नहीं चल पाया है, जिनसे संपर्क करने का प्रयास किया जाएगा।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। छह वर्षों से चुनाव खर्च का ब्योरा न देने वाले 127 राजनीतिक दलों की सुनवाई के दूसरे दिन 45 में से 24 पार्टियों के प्रतिनिधि ही उपस्थित हुए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा इनकी सुनवाई कर रहे हैं। सोमवार को पहले दिन 30 राजनीतिक दलों में से 16 ही आए थे। अब गुरुवार को सुनवाई के अंतिम दिन शेष 52 राजनीतिक दलों की सुनवाई होनी है। इसके बाद रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग भेज दी जाएगी।

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    यह ऐसे राजनीतिक दल हैं जिन्होंने वर्ष 2019 से यानी छह वर्षों में लोक सभा व विधान सभा चुनाव में हिस्सा तो लिया लेकिन निर्धारित तिथि तक अपनी अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (आडिट) रिपोर्ट एवं चुनाव खर्चे का विवरण आयोग को प्रस्तुत नहीं किया था। ऐसे 127 दलों को चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस दिया था।

    अब इन दलों का पक्ष जानने के लिए सुनवाई हो रही है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रत्येक दल द्वारा प्रस्तुत की गई अंशदान रिपोर्ट, आडिट रिपोर्ट एवं खर्चे के विवरण का गहन परीक्षण किया। उन्होंने सभी दलों के मोबाइल नंबर, पंजीकरण संख्या, वर्तमान पता व ईमेल की भी जांच की।नवदीप रिणवा ने कहा कि चुनाव में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक राजनीतिक दल को प्रतिवर्ष 30 सितंबर तक अपनी अंशदान रिपोर्ट तथा 31 अक्टूबर तक अपने आय-व्यय की आडिट रिपोर्ट देना अनिवार्य है।

    इसी प्रकार लोक सभा चुनाव के बाद 90 दिनों में तथा विधान सभा चुनाव के बाद 75 दिनों में अपने आय व्यय का ब्योरा भी सभी दलों को देना होता है। प्रत्येक दल को चंदे के रूप में प्राप्त 20 हजार रुपये से अधिक के अंशदान की रिपोर्ट भी देना होता है।

    बुधवार को सुनवाई में राष्ट्रीय जनता पार्टी-गौतमबुद्धनगर, भारतीय वंचित समाज पार्टी-कन्नौज, भारतीय मानव समाज पार्टी-जौनपुर, नेशनल लोकमत पार्टी-मेरठ, इंसाफवादी पार्टी-वाराणसी, गरीब बेरोजगार विकास पार्टी-बरेली, किसान मजदूर बेरोजगार संघ-औरैया, राष्ट्रीय अपना दल-प्रयागराज, प्रगतिशील समाज पार्टी-प्रयागराज, नैतिक पार्टी-लखनऊ, मानवीय भारत पार्टी-जौनपुर, पिछड़ा समाज पार्टी-बिजनौर, मोडरेट पार्टी-देवरिया, मेधा पार्टी-प्रयागराज, राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी (यूनाईटेड)-रायबरेली, कर्तव्य राष्ट्रीय पार्टी-मेरठ, नकी भारतीय एकता पार्टी-मेरठ, राष्ट्रीय कांग्रेस (जे) पार्टी-मुरादाबाद, राष्ट्रीय अम्बेडकर दल-वाराणसी, राष्ट्रवादी पार्टी आफ इंडिया-गोरखपुर, एकलव्य समाज पार्टी-लखनऊ, लोकतांत्रिक जनवादी पार्टी-वाराणसी, किशोर राज पार्टी-लखनऊ एवं लोक दल-लखनऊ शामिल हुए।

    यह हो सकती है कार्रवाई

    चुनाव खर्च का ब्योरा न देने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता निलंबित हो सकती है। चुनाव चिह्न वापस लिया जा सकता है। लगातार उल्लंघन पर मान्यता समाप्त भी हो सकती है। राजनीतिक दलों को टैक्स का लाभ समाप्त किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 13 ए के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाली कर छूट भी खत्म हो सकती है।