चुनाव आयोग की सुनवाई में पहुंचे 127 में से 66 राजनीतिक दल, चुनावी प्रक्रिया में सुधार का लक्ष्य
चुनाव आयोग की सुनवाई में 127 पंजीकृत दलों में से 66 राजनीतिक दल शामिल हुए। आयोग ने दलों से वित्तीय पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी पर जानकारी मांगी। दलों ने अपने विचार और दस्तावेज प्रस्तुत किए। आयोग अब प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करेगा और चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। छह वर्षों से चुनाव खर्चे का ब्योरा न देने वाले 127 दलों की सुनवाई के तीसरे व अंतिम दिन 52 में से 26 दलों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा। तीन दिनों में कुल 66 राजनीतिक दलों ने ही अपना पक्ष मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा के समक्ष रखा। अब जल्द ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी अपनी रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग भेजेंगे।
दरअसल, चुनाव आयोग ने वर्ष 2019 से लोक सभा व विधान सभा चुनाव लड़ने के बावजूद निर्धारित तिथि तक अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (आडिट) रिपोर्ट एवं चुनाव खर्चे का विवरण आयोग को नहीं देने वाले 127 दलों को कारण बताओ नोटिस दिया था।
इन दलों को सुनवाई का मौका देते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने तीन दिन तय किए थे। गुरुवार को सुनवाई के अंतिम दिन 52 राजनीतिक दलों को बुलाया गया था, इसमें 26 दलों के पदाधिकारी ही आए। बुधवार को 45 दलों में से 24 दल उपस्थित हुए थे। वहीं, सोमवार को सुनवाई के पहले दिन 30 दलों में से 16 दल आए थे।
नवदीप रिणवा ने बताया कि तीन दिनों तक की गई सुनवाई में कुल 66 दलों के पदाधिकारी ही उपस्थित हुए। प्रत्येक दल द्वारा प्रस्तुत की गई अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (आडिट) रिपोर्ट एवं चुनाव खर्चे जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों का गहन परीक्षण किया गया। सभी दलों के मोबाइल नंबर, पंजीकरण संख्या, वर्तमान पता व ईमेल की भी जांच की गई।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चुनाव में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक दल को प्रतिवर्ष 30 सितंबर तक अपनी अंशदान रिपोर्ट तथा 31 अक्टूबर तक अपने आय-व्यय की आडिट रिपोर्ट देना अनिवार्य है। इसी प्रकार लोक सभा चुनाव के बाद 90 दिनों में तथा विधान सभा चुनाव के बाद 75 दिनों में अपने आय व्यय का ब्योरा भी सभी दलों को देना होता है।
अंतिम दिन सुनवाई में जन आदेश अक्षुणी सेना-मैनपुरी, समर्थ किसान पार्टी-कौशाम्बी, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी-मथुरा, सबका दल यूनाइटेड-लखनऊ, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी (इन्सान)-भदोही, भारतीय नवोदय पार्टी-इटावा, संयुक्त समाजवादी दल-आगरा, सनातन संस्कृति रक्षा दल-प्रयागराज, समग्र विकास पार्टी-मेरठ, गरीब क्रांति पार्टी-बिजनौर, राष्ट्रीय विकास मंच पार्टी-वाराणसी, सत्य क्रांति पार्टी-गोरखपुर, सर्वजन समता पार्टी-गाजियाबाद, हमदर्द पार्टी-गाजीपुर, उत्तर प्रदेश रिपब्लिकन पार्टी-लखनऊ, राष्ट्रीय मतदाता पार्टी-लखनऊ, सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी-प्रतापगढ, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)-लखनऊ, सबसे अच्छी पार्टी-हापुड, सम्राट अशोक सेना पार्टी-गोंडा, जय हिंद समाज पार्टी-गाजीपुर, मजदूर किसान यूनियन पार्टी-मुजफ्फरनगर, जनहित किसान पार्टी-महाराजगंज, समान अधिकार पार्टी-आगरा, वंचित समाज इंसाफ पार्टी-मथुरा एवं विकास इंसाफ पार्टी-फतेहपुर शामिल हुईं।
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