Eid-e-zehra : शिया समुदाय ने मनाया ईद-ए-जहरा का त्योहार, काले कपड़े त्याग पहने खुशरंग लिबास
Eid-e-zehra खुशी की लहर दौड़ पड़ी। लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर नज्र चखी और ईद-ए-जहरा की मुबारकबाद दी। महिलाओं ने सवा दो महीने बाद किया श्रृंगार। शिया समुदाय ने खुशरंग विशेषकर लाल लिबास पहने तथा घरों में महिलाओं ने तरह-तरह के पकवान बनाये।
लखनऊ, जेएनएन। Eid-e-zehra : कर्बला के 72 शहीदों के गम में दो महीने आठ दिन तक शोक मनाने के बाद शिया समुदाय ने मंगलवार को ईद-ए-जहरा का त्योहार मनाया। एक ओर जहां समुदाय के लोगों ने काले कपड़ों की जगह खुशरंग लिबास पहने, तो वहीं महिलाओं ने सवा दो महीने बाद सुहाग की निशानी पहन श्रृंगार किया। पुराने शहर में कई जगह जश्न का सिलसिला जारी रहा। वहीं, देर रात तक लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर नज्र चखी और ईद-ए-जहरा की मुबारकबाद दी।
त्योहार की खुशियां मनाने के लिए शिया समुदाय ने खुशरंग विशेषकर लाल लिबास पहने तथा घरों में महिलाओं ने तरह-तरह के पकवान बनाये और एक दूसरे के घर जाकर ईद-ए-जहरा की मुबारकबाद दी और मिठाईयां बाटीं। मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया समुदाय के लोगों ने काले वस्त्र धारण कर लिए थे। इस दौरान किसी ने न तो खुशी मनाई और न ही खुशी के किसी कार्यक्रम में शरीक हुए। इस अवसर पर घरों पर लगे काले झंडे उतार कर खुशी के लाल झंडे लगाये। मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने महफिल की को खिताब कर त्योहार की फजीलत बयां की। मौलाना ने कहा कि शिया समुदाय में पांच ईद है, इनमें से सबसे बड़ी ईद ईद-ए-जहरा है।
कर्बला में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों की शहादत के बाद उनके बीमार बेटे हजरत इमाम जैनुल आबदीन अलैहिस्सलाम और बहन शहजादी जनाबे जैनब (स.अ.) के चेहरों पर आज के दिन मुस्कुराहट आयी थी। इसलिए शिया समुदाय के लिए यह दिन बहुत खास है। इसी तरह पुराने शहर के हसन पुरिया, बुनियादबाग, कश्मीरी मोहल्ला, मौला नगरी, रूस्तमनगर, काजमैन, नूरबाड़ी, मैदान एलएचखां, तोप दरवाजा, शर्गा पार्क, टापे वाली गली, हुसैनाबाद, वजीरगंज, गोलागंज, सरफराजगंज, रईस मंजिल, शरीफ मंजिल, जनाब वाली गली, शीशमहल, अंगूरीबाग, मुसाहबगंज, दरगाह रोड, मुफ्तीगंज और नैपियर रोड में लोग लाल-पीले रंग के लिबास पहने जश्न मनाते नजर आये।
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