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    फलों के राजा ने बाजार में दी दस्‍तक, दशहरी आम की अच्‍छी आवक से दुकानदार और ग्राहक दोनों खुश

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 07:00 AM (IST)

    आम के मौसम में दशहरी का सीजन करीब डेढ़ से दो माह का रहता है। इस दौरान करीब दो लाख क्विंटल से अधिक आम की आवक मंडी में रहती है। आम के सीजन में फल मंडी में अन्य फलों की डिमांड बहुत कम हो जाती है।

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    डाल वाली दशहरी की बाजार में दस्तक, 60 से 80 रुपये किलो।

    लखनऊ, [नीरज मिश्र]। फलों का राजा 'दशहरी आम' की दस्तक राजधानी के बाजारों में शुरू हो गई है। इस बार दाग रहित साफ दशहरी के सामने आने से किसान और कारोबारी दोनों ही उत्साहित हैं। पिछली बार की तुलना में इस बार रेट भी बेहतर खुला है। पिछली बार थोक मंडी में दशहरी करीब 30 से 35 रुपये किलो थी जो इस बार 45 से लेकर 55 रुपये किलो तक है। करीब 15 से बीस रुपये किलो का अंतर थोक मंडी में है।

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    फुटकर मंडी में 60 से लेकर 100 रुपये किलो तक : फुटकर मंडी में डाल वाली दशहरी की कीमत 60 से 80 रुपये किलो तक है। टाप और वजनदार क्वालिटी (करीब 250 ग्राम.) की कीमत सौ रुपये किलो तक है। शुरुआती रेट बेहतर होने से कारोबारी कह रहे हैं कि माल भले ही थोड़ा कम उतरा है लेकिन गुणवत्ता बेहतर होने के कारण दशहरी की डिमांड अच्छी है।

    मंडी में रोज आएगा करीब 8,000 क्विंटल आम : पूर्व मंडी सचिव संजय सिंह बताते हैं कि दशहरी का सीजन करीब डेढ़ से दो माह का रहता है। इस दौरान करीब दो लाख क्विंटल से अधिक आम की आवक मंडी में रहती है। फल मंडी में अन्य चीजों की डिमांड कम हो जाती है। आगामी चार-पांच दिनों में दशहरी मंडी में पूरी तरह से छा जाएगी। कह सकते हैं कि जब तक दशहरी मंडी में रहती है तब तक अन्य फलों की चमक कम रहती है।

    15 को ओमान निकलेगी दशहरी की पहली खेप : दशहरी की पहली एक टन की खेप ओमान के लिए 15 को निकलेगी। आर्डर मिलने के बाद आम की प्रोसेसिंग मैंगो पैक हाउस में शुरू होने जा रही है। मैंगो पैक हाउस के अकरम बेग बताते हैं कि आम की बैक्टीरिया मुक्त करने के बाद उसकी पैकिंग की जाएगी।

    बीते चार वर्षों में आम निर्यात का आंकड़ा

    • 2018- 96.8 मीट्रिक टन
    • 2019 -120.77 मीट्रिक टन
    • 2020 -121 मीट्रिक टन
    • 2021 -15 टन मात्र  

    पाल और डाल में यह है अंतर  : टपका हुआ आम या फिर तोड़कर उसे केमिकल के सहारे पकाया जाता है। उसे पाल वाली दशहरी के नाम से जाना जाता है। जब तक आम में पूरी तरह से जाली नहीं पड़ जाती है तब तक लोग स्वाद के लिए इसे प्रयोग करते हैं। डाल वाली दशहरी सीधे पेड़ से तोड़कर साफ-सफाई कर उसे बाजार में सीधे लाया जाता है। इसकी डिमांड ज्यादा होती है।