केजीएमयू के फॉरेंसिक साइंस कार्यशाला में बोली डा. शालिनी गुप्ता, मरीजों को इलाज के साथ मिलेगा इंसाफ
केजीएमयू में फारेंसिक नर्सिंग विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान दंत संकाय में फारेंसिक आडोंटोलाजी यूनिट की डा. शालिनी गुप्ता ने बताया कि केजीएमयू की नर्स अब मरीजों को इलाज संग पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में भी मदद करेंगी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। केजीएमयू में फारेंसिक नर्सिंग विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान दंत संकाय में फारेंसिक आडोंटोलाजी यूनिट की डा. शालिनी गुप्ता ने बताया कि केजीएमयू की नर्स अब मरीजों को इलाज संग पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में भी मदद करेंगी। इससे मरीजों की दोनों तरह की पीड़ा को दूर किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि मेडिको-लीगल केस में इलाज के साथ ही साथ सुबूत को सुरक्षित बचाने का जिम्मा भी डाक्टरों और उनकी टीम पर होता है। यदि फॉरेंसिक मामलों की सही जानकारी रहे तो इलाज के साथ सुबूत को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसे में मरीजों को इलाज के साथ न्याय दिलाने में भी डाक्टरों और नर्सों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल की नर्सों को फारेंसिक का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
आनलाइन प्रशिक्षण में डा. शालिनी गुप्ता ने कहा कि नर्सों को दुष्कर्म, चाइल्ड अब्यूज, पीड़ित की मृत्यु आदि मामलों में पीड़ितों के इलाज के दौरान सुबूत जुटाने के तौर-तरीके सिखाएं जाएंगे। साथ ही एहतियात बरतकर इलाज की बारीकियां भी बताई जाएंगी। उन्होंने बताया कि केजीएमयू ने नर्सिंग के पाठ्यक्रम में भी फॉरेंसिक साइंस को शामिल किया है। आने वाले समय में इसका उपयोग और व्यापक होगा। इस दौरान केजीएमयू के कुलपति डा. बिपिन पुरी ने कहा कि किसी भी घटना के पीछे सुबूत होते हैं। जो पीड़ित को इंसाफ दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। पीड़ित जब अस्पताल आता है तो सबसे पहली उसका सामना नर्स से होता है। इलाज के दौरान जरा सी चूक से सुबूत नष्ट हो सकते हैं। ऐसे में सुबूतों को ध्यान में रखकर इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए। ताकि मरीजों को इलाज के साथ इंसाफ भी मिल सके। किसी मामले में पीड़ित को इंसाफ मिलना भी दवा की तरह उसकी जिंदगी में नई स्फूर्ति भरता है। इसमें फारेंसिंक साइंस की भूमिका अहम है।
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