UP Health News: यूपी में संचारी रोगों से बचाने को घर-घर दस्तक अभियान आज से, 31 जुलाई तक लोगों को करेंगे जागरूक
यूपी के लोगों को संचारी रोगों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कम कस ली है। आज से प्रदेश में घर-घर दस्तक अभियान शुरु किया जा रहा है। इस अभियान के तहत आशा वर्कर घर-घर जाकर संचारी रोगों से बचाने के लिए लोगों को जागरूक करेगी।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए कमर कस ली है। लोगों को संचारी रोगों से बचाने के लिए शनिवार यानी आज से प्रदेश में घर-घर दस्तक अभियान शुरू कर दिया गया।
31 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में लोगों को संचारी रोगों से बचाव, इनके लक्षण और उपचार की सुविधा के बारे में जागरूक किया जाएगा। आशा वर्कर घर-घर जाकर दिमागी बुखार, मलेरिया, फाइलेरिया और टीबी आदि के लक्षण युक्त रोगियों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध करेंगी। मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम करेंगी।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए हैं कि घर-घर दस्तक अभियान बेहतर ढंग चलाया जाए। अस्पतालों में भी इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। सभी जिलों में लोगों को संचारी रोगों से बचने के लिए सात उपाय बताए जाएंगे।आशा वर्कर लोगों को बताएगी कि मस्तिष्क ज्वर से बचाव का पहला टीका नौ माह से 12 माह के बच्चों को जरूर लगवाएं।
दूसरा टीका 14 माह से 24 माह तक के बच्चों को अवश्य लगवाएं। घर के आसपास साफ-सफाई रखें। मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बांह के कपड़े पहने। स्वच्छ पेयजल का ही प्रयोग करें। घर में कहीं जल जमाव न होने दें।कुपोषित बच्चों का विशेष ध्यान रखें और व्यक्तिगत साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अभियान के लिए विशेष टीमें गठित की जाएं।
घर-घर दस्तक अभियान की मानीटरिंग भी की जाए। विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान एवं दस्तक अभियान के दौरान बुखार के रोगियों की पहचान की जा रही है। अभियान के तहत आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों के कर्मचारी व विभिन्न संस्थाओं के कर्मचारी जनपद के हर घर पर दस्तक देकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
कहीं कोई बीमार मिलेगा तो उसके इलाज की व्यवस्था करेंगे। 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी की मुफ्त जांच और इलाज की व्यवस्था की गयी है। इसके साथ ही यह हम सभी की भी जिम्मेदारी है कि यदि कोई टीबी का मरीज मिले तो उसे अस्पताल ले जाने व उसके उपचार की व्यवस्था के लिए शासन व प्रशासन का भी सहयोग मिल रहा है। सभी पीएचसी, सीएचसी तथा सदर अस्पताल में इसके विशेषज्ञ चिकित्सकों से निश्शुल्क परामर्श लिया जा रहा है।

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