2026 तक दिव्यांग महिलाओं को बनाया जाएगा डिजिटल साक्षर, सुगम्य भारत अभियान और डिजिटल इंडिया से मिला मौका
2026 तक दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सुगम्य भारत अभियान और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से यह अवसर प्राप्त हुआ है। इसका उद्देश्य दिव्यांग महिलाओं को तकनीक का उपयोग करने में सक्षम बनाना है, जिससे वे सशक्त हो सकें और डिजिटल दुनिया में भाग ले सकें।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026 तक सभी दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाना है। सुगम्य भारत अभियान और डिजिटल इंडिया ने दिव्यांगजनों, विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकार ने वर्ष 2017 से दिव्यांगजनों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण को लागू किया था। इससे तीन लाख से अधिक नौकरियों का मार्ग खुला। इसमें दिव्यांग महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है।
प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए 1403 विशेष स्कूल संचालित हैं, जहां 50 प्रतिशत नामांकन लड़कियों के हैं। ये स्कूल शिक्षा के साथ ही डिजिटल कौशल जैसे कंप्यूटर, मोबाइल एप्स और आनलाइन लर्निंग का भी प्रशिक्षण देते हैं।
चित्रकूट जिले के एक विशेष स्कूल में दिव्यांग लड़कियां अब ई-लर्निंग प्लेटफार्म से आइटी पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रही हैं। लखनऊ के एक डिजिटल ट्रेनिंग सेंटर में 200 से अधिक महिलाएं ई-कामर्स और फ्रीलांसिंग सीख रही हैं।
दिसंबर 2015 में शुरू हुए केंद्र सरकार के सुगम्य भारत अभियान के बावजूद प्रदेश के अधिकतर सरकारी भवन दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाने का कार्य अटका रहा था। सरकारी व प्रशासनिक भवनों में रैंप, ब्रेल दिशा-निर्देश या लिफ्ट की सुविधा का अभाव था। जिससे दिव्यांगजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।
सरकार के प्रयास से वर्तमान में 278 सरकारी भवनों में से 271 में अब व्हीलचेयर जाने लायक रैंप और आवाज आधारित सूचना प्राणाली उपलब्ध है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने 44 वेबसाइट को दृष्टिबाधित महिलाओं के लिए स्क्रीन रीडर्स के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ लेने लायक बनाया है। दिव्यांग पेंशन पोर्टल पर अब बोलकर जानकारी ली जा सकती है। जिससे ग्रामीण दिव्यांग महिलाएं भी आसानी से पेंशन पा रही हैं।

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