Deepawali Gift to UP Potters: कुम्हारों को दीपावली उपहार, बिना आवेदन मिलेगा जमीनों का पट्टा
CM Yogi Adityanath Gift To Potters: सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजे आदेश में चकबंदी मैनुअल के पैरा 178 के प्रावधानाें के अनुसार जिस गांव में कुम्हारों की संख्या बहुत कम है या एक कुम्हार हो, जो मिट्टी कला को संजोए रखने का कार्य कर रहा हो और उसने आवेदन या प्रस्ताव भले न दिया हो, लेकिन उसे मिट्टी के लिए भूमि अवश्य सुरक्षित की जाए।

दीपावली से पहले दीपक तैयार करते कुम्हार
जितेंद्र उपाध्याय, लखनऊ: पारंपरिक माटी कला को आगे बढ़ाने वाले कुम्हारों को प्रदेश सरकार ने दीपावली का उपहार दिया है। जिस गांव में माटी कला को आगे बढ़ाने वाले एक भी कारीगर काम कर रहें होंगे, उन्हें बिना आवेदन ही मिट्टी की खोदाई के लिए तालाब या जमीन का पट्टा दिया जाएगा।
माटी कला बोर्ड के प्रस्ताव पर प्रमुख सचिव रणवीर प्रसा ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया। सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजे आदेश में चकबंदी मैनुअल के पैरा 178 के प्रावधानों के अनुसार जिस गांव में कुम्हारों की संख्या बहुत कम है या एक कुम्हार हो, जो मिट्टी कला को संजोए रखने का कार्य कर रहा हो और उसने आवेदन या प्रस्ताव भले न दिया हो, लेकिन उसे मिट्टी के लिए भूमि अवश्य सुरक्षित की जाए।
शासनादेश के बाद अब कुम्हारों को मिट्टी की किल्लत नहीं होगी और माटी कला को बुलंदी मिलेगी। माटी कला बोर्ड के योजना अधिकारी एलके नाग ने बताया कि पिछले साल प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। इस पर नौ अक्टूबर को मुहर लग गई। मुहर लगने के साथ ही प्रदेश के सभी 822 ब्लाकों के 97,941 गांवों में यह व्यवस्था लागू हो गई है।
सरकार की पहल सराहनीय
राजधानी के चिनहट में माटी कला को आगे बढ़ाने वाले राजेश प्रजापति ने बताया कि लौलाई गांव में मिट्टी की खुदाई को लेकर आए दिन बवाल होता है। इसकी वजह से इस कला को आगे बढ़ाने में दिक्कत होती है। सरकार के इस शासनादेश से कारीगरों को अधिकार मिलेगा और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी होगी कि वह मिट्टी के लिए तालाब या जमीन का इंतजाम करे। सरकार की पहल सराहनीय है।
पारंपरिक कारीगरों को सुविधा
माटी कला बोर्ड के नोडल अधिकारी, डॉ.एसके पाण्डेय ने बताया कि इस शासनादेश से माटी कला को आगे बढ़ाने वाले पारंपरिक कारीगरों को सुविधा होगी। मिट्टी के लिए उन्हें कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रहने वाले कुम्हार समाज के लोगों को इस आदेश से लाभ मिलेगा। कारीगरों की ओर से भी कई वर्षों से इसकी मांग भी की जा रही थी।
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