डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की मौत का मामला: तत्कालीन डीजीपी समेत पांच अभियुक्त वकील के जरिए सीबीआइ कोर्ट में हाजिर
करीब दस साल पहले वर्ष 2011 में डिप्टी सीएमओ डा. वाईएस सचान की लखनऊ जेल में मौत हो गई थी। इस मामले में तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह समेत पांच अभियुक्त स ...और पढ़ें

लखनऊ, विधि संवाददाता। वर्ष 2011 में परिवार कल्याण विभाग के डिप्टी सीएमओ रहे डा. वाइएस सचान की लखनऊ जेल में साजिशन हुई हत्या के मामले में सोमवार को तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह समेत पांच अभियुक्त सीबीआइ की विशेष अदालत में जरिए वकील हाजिर हुए। सात जुलाई को अदालत ने डा. सचान की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को प्रथम दृष्टया हत्या व साजिश का मामला मानते हुए करमवीर सिंह समेत सात अभियुक्तों को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया था। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने यह आदेश डा. सचान की पत्नी मालती सचान की परिवाद पर संज्ञान लेते हुए दिया था।
सोमवार को विशेष अदालत के समक्ष करमवीर समेत चार अभियुक्त तत्कालीन एडिशनल डीजीपी कारागार वीके गुप्ता, आइजी लखनऊ जोन सुबेह कुमार सिंह व लखनऊ जेल के तत्कालीन जेलर बीएस मुकुंद की ओर से एक अर्जी दी गई। बताया गया कि हाईकोर्ट में इस आदेश के विरुद्ध याचिका दाखिल है। इस याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित है। जबकि एक अभियुक्त तत्कालीन डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह की ओर से बताया गया कि वह बाहर हैं। लिहाजा उपस्थित होने के लिए एक मौका दिया जाए। अदालत ने इस आचरण को विधि विरुद्ध माना। वहीं अभियुक्त तत्कालीन प्रधान बंदी रक्षक बाबू राम दूबे व बंदी रक्षक पहींद्र सिंह गैरहाजिर रहे।
इनके विरुद्ध पुनः समन जारी करने का आदेश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी।
26 जून, 2011 को डा. वाइएस सचान की जेल में हुई मौत की एफआइआर थाना गोसाईगंज में अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुई थी। डा. सचान एनआरएचएम घोटाला मामले में जेल में बंद थे। 22 जून को जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हुई थी। डा. सचान की मौत की न्यायिक जांच शुरु हुई। 11 जुलाई, 2011 को न्यायिक जांच रिपोर्ट में डा. सचान की मौत को स्पष्ट रूप से हत्या करार दिया गया। 14 जुलाई, 2011 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। 27 सितंबर, 2012 को सीबीआइ ने जांच के बाद डा. सचान की मौत को खुदकुशी करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दिया।
डा. सचान की पत्नी डा. मालती सचान ने सीबीआइ की अंतिम रिपोर्ट को जरिए प्रोटेस्ट अर्जी चुनौती दी। विशेष अदालत ने उनकी अर्जी मंजूर करते हुए सीबीआइ को अतिरिक्त कार्यवाही का आदेश दिया। नौ अगस्त, 2017 को सीबीआइ ने फिर से फाइनल रिपोर्ट दाखिल की। 19 नवंबर, 2019 को विशेष अदालत ने इसे भी खारिज कर दिया और मालती सचान की अर्जी को परिवाद के रुप में दर्ज कर लिया।
परिवादिनी मालती सचान ने अपने बयान के समर्थन में कई दस्तावेज दाखिल किए। इनमें न्यायिक जांच रिपोर्ट के अलावा मुख्य रूप से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मेडिकल एक्सपर्ट ओपिनियन व पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने वाले डाक्टरों के बयान के साथ ही सीबीआइ द्वारा दर्ज बयानों का भी हवाला दिया था। उन्होंने अदालत से डा. वाइएस सचान की हत्या व जरूरी दस्तावेज तथा साक्ष्यों को गायब करने के मामले में इन विपक्षीगणों को तलब करने की मांग की थी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।