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    UP: लखनऊ के अधिकारी परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा भेजने में सुस्त

    By Vivek Rao Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Tue, 18 Nov 2025 04:43 AM (IST)

    DBT Primary School Students: अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कुछ दिन पहले समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को चेतावनी दी कि लंबित मामलों को तुरंत निपटाएं, अन्यथा जवाबदेही तय होगी। प्रदर्शन के आधार पर जारी रैंकिंग में वाराणसी सबसे आगे है।

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    बच्चों के अभिभावकों को डीबीटी के जरिये दी जाने वाली धनराशि भेजने में जिलों की रफ्तार धीमी 

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को डीबीटी के जरिये दी जाने वाली धनराशि भेजने में अब भी कई जिलों की रफ्तार धीमी है। लगातार निर्देशों और सख्ती के बावजूद लखनऊ समेत दस जिलों में 10 से 11 प्रतिशत भुगतान लंबित है। जिसके कारण सर्दियां शुरु होने के बाद भी बच्चे यूनिफार्म के स्वेटर बिना ही स्कूल जा रहे हैं।

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    प्रदेश में कुल 1,41,64,838 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिनमें से 1,37,49,382 छात्रों के अभिभावकों का आधार सत्यापन पूरा हो चुका है। अब तक 1,23,03,716 छात्रों को डीबीटी की राशि सफलतापूर्वक भेज दी गई है, लेकिन कई जिलों में कार्यवाही अटकी हुई है। जिला स्तर पर 2,06,623 मामलों में बीएसए और बीईओ स्तर पर कार्रवाई लंबित है। 3,59,016 मामलों में आधार लिंक न होने से भुगतान असफल हुआ है, जबकि 4,15,456 अभिभावकों का आधार सही नहीं होने के कारण रकम रुक गई है। इसके अलावा 8,80,227 मामलों में भुगतान प्रक्रिया जारी है।

    अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कुछ दिन पहले समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को चेतावनी दी कि लंबित मामलों को तुरंत निपटाएं, अन्यथा जवाबदेही तय होगी। प्रदर्शन के आधार पर जारी रैंकिंग में वाराणसी सबसे आगे है। यहां 1.88 लाख नामांकित छात्रों में सिर्फ 2.33 प्रतिशत मामले लंबित हैं। शीर्ष जिलों में वाराणसी के अलावा बरेली, कौशांबी, पीलीभीत, सुल्तानपुर, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, अंबेडकर नगर, रामपुर और सिद्धार्थनगर शामिल हैं।

    उधर, जिन 10 जिलों में 10 से 11 प्रतिशत भुगतान अब भी लंबित है, उनमें हापुड़, गाजियाबाद, मैनपुरी, गोंडा, लखनऊ, देवरिया, गौतमबुद्धनगर, हाथरस, गोरखपुर और कन्नौज शामिल हैं। हाथरस में 11.66 प्रतिशत और लखनऊ में 11.53 प्रतिशत मामलों के अटकने से स्थिति चिंताजनक मानी जा रही है। राज्य सरकार ने इन जिलों पर विशेष निगरानी शुरू कर दी है और प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं।