'हर हिंदू परिवार में कम-से-कम दो बच्चे जरूरी', दत्तात्रेय होसबाले बोले- देश में घोषित हो जनसंख्या नीति
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मातृशक्ति सम्मेलन में कहा कि हर हिंदू परिवार में न्यूनतम दो बच्चे होने चाहिए। उन्होंने देश में समान जनसंख्या नीति लागू करने और जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्पष्ट नीति घोषित करने की मांग की।

जागरण संवाददाता, कानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने सोमवार को मर्चेंट्स चैंबर सभागार में मातृशक्ति सम्मेलन में कहा कि देश में हर हिंदू परिवार में न्यूनतम दो बच्चे आवश्यक हैं। उन्होंने देश में जनसंख्या नीति घोषित किए जाने की मांग की। कहा कि जनसंख्या नियंत्रण सबके लिए एक सा होना चाहिए।
यह किसी एक वर्ग पर लागू हो और दूसरे पर नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए। सम्मेलन में उन्होंने संघ के सौ वर्षों के कार्यों का उल्लेख किया व जनसंख्या नियंत्रण पर खुलकर बात की। कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में लाल किले से जनसंख्या नीति की घोषणा की थी और हो सकता है कि आने वाले समय में इसे लागू भी करें। उन्होंने कहा कि आबादी को लेकर जो अध्ययन हुआ है, उसमें यह बात आई है कि परिवार में दो से अधिक बच्चे होने चाहिए। कई राज्यों में हिंदू परिवारों में एक ही बच्चा है। दो बच्चे परिवार व देश के भविष्य के लिए जरूरी हैं।
सेना में कौन जाएगा
अगर परिवार में एक ही बच्चा हुआ तो सेना में कौन जाएगा। महिलाओं को लेकर उन्होंने कहा कि वे जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। हालांकि, भद्दे विज्ञापन के रूप में महिलाओं का कामर्शियल प्रयोग समाज पर असर डालता है। कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाओं को आधुनिक नहीं होना चाहिए। पुरुषों को भी महिलाओं के विकास और उनकी स्वतंत्रता में बाधा नहीं बनना चाहिए।
संघ में महिलाओं की भूमिका को भी उन्होंने स्पष्ट कर कहा कि इसके लिए राष्ट्र सेविका समिति है। लड़कियां या महिलाएं शाखा में नहीं जातीं, लेकिन वे प्रचार विभाग, संपर्क विभाग, सेवा बस्ती में काम करती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए दुर्गावाहिनी भी है। कहा कि सिर्फ हिंदुत्व, गोरक्षा व अनुच्छेद 370 हटवाने के लिए ही आरएसएस नहीं है।
गृहस्थ कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका
संघ की 100 वर्ष की सफल यात्रा में गृहस्थ कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका है। संघ के कार्य को कार्यकर्ता कर पाए, इसका मुख्य कारण परिवार की माता-बहनें हैं। उन्होंने प्रवास के दूसरे व अंतिम दिन जिला तथा उससे ऊपर के स्वयंसेवकों की बैठक में पंच परिवर्तन के विषय को समाज में पहुंचाने की योजना दी। कहा कि पंच परिवर्तन को आधार बनाकर कार्य करने से ही समाज तथा राष्ट्र का उत्थान संभव है।

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