Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dasheri Mango :मिट्टी में फास्फोरस गायब होने से हो गया ऐसा, घटेगी लखनऊ के दशहरी आम की मिठास

    Famous Dasheri Mango of Lucknow मिट्टी से कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश कैल्शियम मैग्नीशियम सल्फर जिंक आयरन कापर बोरान मैग्नीज मालीब्लेडिनम और क्लोरीन जैसे प्रमुख पोषक तत्व गायब हो गए हैं। मिट्टी की खुशबू भी कम हो गई है। इससे दशहरी समेत अन्य फलों की मिठास भी कम होगी।

    By Jitendra Kumar Upadhyay Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Mon, 05 May 2025 06:46 PM (IST)
    Hero Image
    Dasheri Mango of Lucknow:लखनऊ के दशहरी आम

    जितेंद्र उपाध्याय, लखनऊ : खेतों में पराली जलाने से साथ ही रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का असर लखनऊ के मलिहाबाद, काकोरी, बख्शी का तालाब व माल में दिखने लगा है। यहां के आम की बागों और खेतों की मिट्टी में फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा में कमी पाई गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इनकी कमी से अवध की धरोहर माने जाने वाले Dasheri Mango of Lucknow दशहरी आम की मिठास के साथ पत्तियों से हरियाली में भी कम होने की संभावना बढ़ी है। विशेषज्ञों ने बागवानों और किसानों को समय रहते जैविक खादों का प्रयोग न करने की सलाह दी है और इसका प्रयोग करने स्थिति गंभीर होने की चेतावनी दी है। 

    काकोरी ब्लाक में क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला की ओर से वर्ष 2023-2024 में मिट्टी के परीक्षण में सल्फर की मात्रा न्यूनतम स्तर पर पाई गई। सल्फर कम होने से पौधों की पत्तियों के साथ ही टहनियां का रंग पीला पड़ जाता है। धीरे-धीरे पत्तियां सफेद होती जाएंगी। नई पत्तियां न आने पर उनकी हरियाली गायब हो जाती है।

    यहां सल्फर की मात्रा दस पीपीएम से कम हो गई है, जो कम से कम 15 पीपीएम होनी चाहिए। केवल काकोरी ही नहीं बल्कि माल, मलिहाबाद और चिनहट ब्लाक में भी यहां की मिट्टी में सल्फर की मात्रा न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच गई है। इससे दशहरी समेत अन्य फलों की मिठास भी कम होगी।  

    ऐसे बढ़ेगी मिट्टी में सल्फर की मात्रा

    कृषि विशेषज्ञ डा.सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि काकोरी के अलावा चिनहट, माल और मलिहाबाद के किसानों को सलाह दी गई है कि किसान मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करें। गोबर से बनी खाद का प्रयोग करने के साथ ही हरी खाद भी मिट्टी की सेहत सुधार देगी। कीटनाशकों के साथ ही रासायनिक उर्वरकों का किसान कम से कम प्रयोग करें। इसके अलावा मिट्टी का समय-समय पर परीक्षण कराते हैं। पराली जलाने से बचें जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले जैविक कीटनाशक को बचाया जा सके।

    मिट्टी से गायब हुए 16 प्रमुख पोषक तत्व

    बख्शी का तालाब के चंद्रभान गुप्त कृषि महाविद्यालय के विशेषज्ञ डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से मिट्टी का स्वास्थ्य निरंतर गिरता चला जा रहा है। मिट्टी की खुशबू गायब होती जा रही है। मिट्टी में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश के साथ में जिंक मैंग्नीज कैल्शियम, बोरान जैसे प्रमुख पोषक तत्व की मात्रा निरंतर गिरती चली जा रही है। मिट्टी से कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन कापर बोरान, मैग्नीज मालीब्लेडिनम और क्लोरीन जैसे प्रमुख पोषक तत्व गायब हो गए हैं। मिट्टी की खुशबू भी कम हो गई है। 

    मृदा परीक्षण से दूर होगी कमी

    जिला कृषि अधिकारी टीबी सिंह ने बताया कि पांच मई को मृदा परीक्षण दिवस में हर ब्लाक से 200-200 मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे। परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर किसानों को जैविक खाद और प्राकृतिक खेती के लिए किसानों और बागवानों को प्रेरित किया गया है। किसानों से अपील है कि वे विशेषज्ञों से साथ मिट्टी के नमूने देने में सहयोग करें जिससे मिट्टी की सेहत सुधारी जा सके।

    खाद एवं उर्वरक

    मिट्टी की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार के लिए हर पौधे में 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद देना अच्छा रहता है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालों में डालने से उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।