Dangerous School Vans in Lucknow: बच्चों की सुरक्षा पर खतरा बने स्कूली वाहनों पर सख्ती, लखनऊ से गायब हो गए 2622 वाहन
Dangerous School Vans in Lucknow 500 से अधिक स्कूल वाहन अब भी बिना फिटनेस के चल रहे हैं। स्कूल वाहनों की नियमावली में संशोधन व स्कूल प्रबंधन को जवाबदेह बनाने का यह असर हुआ कि जून 2023 में ट्रांसपोर्ट नगर एआरटीओ कार्यालय में 4364 स्कूल वाहन दर्ज थे 2024 में इन वाहनों की संख्या घटकर 3721 रह गई और अब जून 2025 में यह महज 1742 हैं

धर्मेश अवस्थी, लखनऊ : राजधानी लखनऊ की आबादी के साथ स्कूल और छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन स्कूल वाहन 2622 घट गए हैं। एक झटके में इतने वाहन कम हो जाना सिर्फ चौंकाता ही नहीं, बल्कि एक गठजोड़ की ओर इशारा करता है।
स्कूल वाहनों को घटाने का काम स्कूल संचालकों व परिवहन अधिकारियों ने मिलकर किया है, ताकि दोनों अपनी जिम्मेदारी से बच सकें। कोई घटना होने पर स्कूल संचालक सीधे जवाबदेह नहीं होंगे वहीं, परिवहन अधिकारियों को उनकी निगरानी करने में आसानी रहेगी।
लखनऊ में इंटरमीडिएट तक के 700 निजी व सरकारी स्कूल हैं, इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के आवागमन के लिए स्कूल वाहन की सुविधा अधिकांश में है। स्कूल संचालक अभिभावकों से स्कूल वाहन की सुविधा के लिए दूरी के हिसाब से शुल्क लेते हैं जो मासिक फीस के इर्द-गिर्द ही होता है।
शिक्षण संस्थानों पर अपने वाहनों के रखरखाव का जिम्मा भी होता है। 21 सितंबर 2024 को बैठक में स्पष्ट किया गया था कि स्कूल प्रबंधन को प्राइवेट वाहनों की भी जिम्मेदारी लेनी होगी। यह कहकर काम नहीं चलेगा कि घटना निजी वाहन से हुई। हालांकि इसके बाद भी स्कूल प्रबंधकों के माध्यम से वाहनों को दुरुस्त नहीं रखा जा सका।
यही वजह है कि 500 से अधिक स्कूल वाहन अब भी बिना फिटनेस के चल रहे हैं। स्कूल वाहनों की नियमावली में संशोधन व स्कूल प्रबंधन को जवाबदेह बनाने का यह असर हुआ कि जून 2023 में ट्रांसपोर्ट नगर एआरटीओ कार्यालय में 4364 स्कूल वाहन दर्ज थे, 2024 में इन वाहनों की संख्या घटकर 3721 रह गई और अब जून 2025 में यह महज 1742 हैं। बच्चों की सुरक्षा पर अधिकारी व स्कूल दोनों गंभीर नहीं हैं। अपने लाभ के लिए संख्या में उलटफेर जारी है।
यह दो प्रमुख वजह
- 2023 में ही स्कूल वाहनों की नियमावली में संशोधन हुआ, इसके तहत वाहनों में सेफ्टी राड, सीसीटीवी कैमरा, छात्राओं के होने पर महिला अटेंडेंट, वाहनों का पीला रंग, स्पीड कंट्रोलर लगवाने ड्राइवर का नाम व मोबाइल लिखवाने जैसे कई निर्देश हुए। हर साल फिटनेस के लिए वाहन में इन सबका होना जरूरी था।
- 9 अगस्त 2024 को क्षमता से अधिक बच्चों को ले जा रही निजी वैन शहीद पथ पर पलट गई थी। हादसे में बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। स्कूल प्रबंधन ने मामले से पल्ला झाड़ लिया था। शहीद पथ हादसे के बाद से सवाल उठे कि बच्चों को लेकर जाने वाले निजी वाहनों की जिम्मेदारी किसकी है?
जिला प्रशासन व आरटीओ प्रशासन पर उठाया सवाल
अध्यक्ष अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, अनिल अग्रवाल ने कहना है कि जिला प्रशासन व आरटीओ प्रशासन हर घटना में स्कूल प्रबंधन को दोषी मानने लगा है अब स्कूल प्रबंधन बच्चों का ट्रांसपोर्टेशन आउटसोर्स के माध्यम से करा रहे हैं। अब यह कहा जा रहा निजी वाहन से घटना पर भी प्रबंधन जिम्मेदार होगा ऐसे में वाहनों की संख्या और घटेगी।
जुलाई में चले अभियान का बड़ा असर
आरटीओ प्रवर्तन प्रभात कुमार पांडेय ने बताया कि जुलाई में चले अभियान में 1742 वाहनों में 1616 की जांच की गई है, स्कूल वाहनों की संख्या घटने का कारण उन वाहनों का पंजीयन निरस्त होना है, जो भौतिक रूप से न होते हुए भी कागज पर दर्ज रहे हैं। कई स्कूल निजी संस्थाओं के माध्यम से बच्चों का आवागमन करा रहे हैं।
चर्चित स्कूल संचालक वाहन रखने को सहर्ष तैयार नहीं
आरटीओ प्रशासन संजय कुमार तिवारी ने बताया कि स्कूल वाहनों के लिए प्रबंधन को एकमुश्त रोड टैक्स जमा करना पड़ता है, जबकि निजी वाहन स्वामी त्रैमासिक जमा करते हैं। अब कोई भी चर्चित स्कूल संचालक वाहन रखने को सहर्ष तैयार नहीं है। निजी वाहनों को भी फिटनेस व परमिट लेना पड़ता है।
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