World Marriage Day: ये बंधन है प्यार का, कभी टूटे न रिश्तों की डोर...
वर्ल्ड मैरिज डे पर समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के शादी को लेकर अनुभव।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। समाज को जोडऩे की पहली पाठशाला परिवार होता है। परिवार में समन्वय बनाकर जीवन को जीने वाला व्यक्ति समूह के साथ चलकर भी सबको जोडऩे की कूवत रखता है। संयुक्त परिवार उसी का सशक्त उदाहरण है। विकास के इस दौर में जब हम स्मार्ट हो गए हैं तो इस रिश्ते को संजोए रखने की चुनौती भी कम नहीं है। आपसी सामंजस्य से इस रिश्ते की डोर को और सशक्त बना सकते हैं। रविवार को विश्व विवाह दिवस पर हम कुछ ऐसे दंपति के सुखद जीवन की कहानी उन्हीं की जुबानी बता रहे हैं। परिवार जैसी संस्था को बचाने और रिश्तों की डोर को मजबूती प्रदान करने वाले ऐसे कुछ खास दंपतियों ने अपने रिश्तों के बारे में विस्तार से बताया। पेश है, जागरण सिटी की रिपोर्ट:-
आपसी समन्वय के 50 साल
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि सामाजिक तानेबाने में शादी को अहम हिस्सा माना गया है। सामाजिक मान्यता के इस रिश्ते को वर्षों तक निभाने के लिए आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। मेरी नौ मार्च 1969 में कानपुर में अमरजीत कौर के साथ शादी हुई। फिर उनके साथ जीवन की नई शुरुआत हुई। मुझे लगता है कि आप अपने जीवनसाथी की बात को जरूर सुने। एक दूसरे से बात करने पर कभी भी आपसी मनमुटाव नहीं होगा। पति-पत्नी के बीच प्यार का जो रिश्ता है उसे सदैव जवां रखना चाहिए। इसके आप कहीं घूमने जरूर जाएं। बच्चों के साथ समय बिताएं। इससे न केवल आपका मन बदलेगा बल्कि रिश्तों में नई ताजगी भी आएगी। पिछले वर्ष गोल्डेन जुबली मनाया और आलमबाग के समर विहार कॉलोनी में 50 पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
सुनने की सहनशीलता
आशियाना परिवार के अध्यक्ष आरडी द्विवेदी ने बताया कि आप कोई गलती करते हैं या फिर आपकी पत्नी कोई गलती करती है तो आप इस गलती को सुनने के लिए तैयार रहें। शादी के बंधन को मजबूत बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है। मेरी 1979 में रमा द्विवेदी से शादी हुई। दोनों के बीच आपसी समझ से परिस्थिति के अनुरूप समझौता होता रहा और जीवन चलता रहा। बच्चों को लेकर हम दोनों के बीच कभी मनमुटाव नहीं हुआ। एक बेटा और एक बेटी को पालने की चुनौती को मेरी पत्नी ने बखूबी निभाया और कभी मुझे मेरी जिम्मेदारी का एहसास नहीं होने दिया। मैने भी कभी पत्नी को नीचा दिखाने का प्रयास नहीं किया। शादी के बंधन की यही सबसे बड़ी खासियत है कि आप खुद के साथ समझौता करना सीख जाएं, रिश्ते मजबूत हो जाएंगे।
सोच मिलने से चलती है जिंदगी
समाजसेवी पूजा मेहरोत्रा ने बताया कि आपका जीवन साथी कैसा है? उसका व्यवहार कैसा है? यह पता चलने के बाद आपके रिश्तों की बुनियाद को मजबूत होती है। आपसी सोच उससे मिलती है और जिंदगी की डोर आगे बढ़ती रहती है। मेरी शादी अमित मेहरोत्रा के साथ हुई तो मुझे लगा कि मुझे जीवन जीने का नया रास्ता मिल गया। एक निजी कंपनी में काम करने के बावजूद उन्होंने मेरे अंदर की सामाजिक चेतना को जगाया और हम दोनों की दिव्यांगों को अपना बनाने में लग गए। एक दूसरे के साथ एक ही मकसद है कि समाज में अपना मुकाम हो, कोई कभी अंगुली न उठाए। शादी की सबसे मजबूत डोर आपसी विश्वास होता है। इसी विश्वास के बल पर हम अपने शादी के रिश्ते को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं अपने बेटी इशिका और बेटे राघव को सामाजिक बंधनों के बारे में बताती हूं। आने वाला समाज उनका है।
प्रेम और विश्वास बहुत जरूरी
गायिका अनुमेहा गुप्ता ने बताया कि बदलते परिवेश में रिश्तों को निभाने की चुनौती के बावजूद आपसी प्रेम और विश्वास आपके शादी के बंधन को मजबूती प्रदान कर सकता है। मेरी शादी 19 साल पहले श्रीप्रकाश सिंह के साथ हुई थी। दोनों के बीच कभी भी किसी भी बात को लेकर कहासुनी नहीं हुई। शादी में यह बात शायद समाज को हजम न हो, लेकिन यह सच्चाई है। एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना मेरे रिश्ते को हर मजबूत बनाता है। बच्चों के साथ जीवन की यात्रा चल रही है और दिन पर दिन उसमे और मजबूती आ रही है। वर्तमान पीढ़ी को भी अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए एक दूसरे पर विश्वास करना जरूरी है। ऐसा न करने पर शादी का सामाजिक बंधन प्यार से दूर होकर फूलों की पंखुरियों की तरह बिखर जाता है जो लाख कोशिशों के बाद भी नहीं जुड़ता।
वचनों का पालन करने से श्रेष्ठ बनेगा बंधन
शिक्षक डॉ.पवन दीक्षित ने बताया कि भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का सबसे अहम पहलू विवाह है। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अग्नि के सात फेरे लेकर जीवन जीने के सात वचन को निभाने की कसम खाई जाती है। इसे निभाने की उत्सुकता और समन्वय वैवाहिक जीवन को खुशहाल बना देता है। मेरी शादी डॉ.भुवनेश्वरी के साथ हुई तो दोनों के बीच विचारों का जो समन्वय रहा वह काफी अच्छा रहा। मुझे लगता है कि प्रजा, यज्ञ और काम तीनों का समन्वय शादी की डोर को मजबूत करता है। एक दूसरे के समझने के चक्कर में नामसमझी वर्तमान समय में इस रिश्ते को कमजोर कर रहा है। सामाजिक मान्यता के इस रिश्ते को सामाजिक मर्यादा के साथ ही आगे बढ़ाया जाय तो इस विवाह जैसे पवित्र बंधन को निभाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
इसलिए मनाया जाता है विश्व विवाह दिवस
ज्योतिषाचार्य आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि शादी परिवार की स्थापना की पहली सीढ़ी है। इसकी मजबूती को बनाए रखने और इसका सम्मान करने के लिए इस रिश्ते को सामाजिक मान्यता भी दी गई है। समाज की सबसे प्रगाढ़ इस रिश्ते की डोर मजबूत बनाए रखने के लिए हर साल फरवरी महीने के दूसरे रविवार को विश्व शादी दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में हुई थी। 2012 से विश्व स्तर पर इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन शादी शुदा लोग अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए आयोजन करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।