Hello Doctor: आयुर्वेद के हिसाब से बदलें आहार-विहार, मजबूत होगा इम्यून सिस्टम
दैनिक जागरण के कार्यक्रम हेलो डॉक्टर में आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. वंदना पाठक की एक्सपर्ट राय।
लखनऊ, जेएनएन। आयुर्वेद के सिद्धान्त अकाट्य हैं। शाश्वत हैं। ये हजारों वर्षों के शोध के बाद लिखे गए हैं। आज जरूरत है उन सिद्धांतों को बिना छेड़छाड़ किए युक्तिपूर्वक आज की व्याधियों पर प्रयोग करने की। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. वंदना पाठक बताती हैं कि आयुर्वेद ऋतु आधारित आहार-विहार का समर्थन करता है। इसे हमारे ऋषि-मुनियों ने तैयार किया है। इस समय निम्न आहार-विहार अपनाकर कोई भी स्वस्थ रह सकता है। इम्यून सिस्टम खुद-ब-खुद मजबूत होता जाएगा।
ये करें
- सूर्योदय के पहले उठें
- नित्यक्रिया के बाद गुनगुने पानी से गरारा करें।
- यदि सूखी खांसी हो तो सेंधा नमक और गाय का घी मिलाकर पीठ और सीने पर हल्के हाथ से मालिश करें।
- फिर अजवायन के पानी का भाप लें।
- एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करें।
- तिल का तेल या गाय का घी नाक के अंदर लगा लें।
- योगासन की बारी
- 2 मिनट भुजंगासन
- 5 मिनट उदगीत
- 5 मिनट भ्रामरी
- 5 मिनट भ्रस्त्रिका
- 5 मिनट कपाल भाति
- (आसन करने से पूर्व किसी योग्य शिक्षक का मार्गदर्शन जरूरी है।)
- प्रतिदिन ध्यान अवश्य करें।
- इसके बाद काढ़ा पीएं
- काढ़ा बनाने के लिए प्रति व्यक्ति दो इंच गिलोय लेकर साफ करें। गिलोय को कूट लें। चार कप पानी में डालकर चूल्हे पर चढ़ा दें और एक कप बचने पर सेवन करें।
नाश्ता
सत्तू, भुना चना, भुना हुआ कोई और अनाज भी हो सकता है।
नाश्ता लेने बाद त्रिकुट एक ग्राम-सोंठ, पिपली, काली मिर्च पाउडर बराबर मिलाकर शहद के साथ लें।
दोपहर का भोजन
दाल, चावल, सीजन की सब्जी, खिचड़ी आदि भूख लगने पर ही लें। इसके लिए उपयोग में आने वाला अनाज पुराना होना चाहिए। इस सीजन में जौ, चना, मूंग, मसूर लाभकारी होगा।
भोजन के बाद सोंठ का पानी लें। सम्भव हो तो दिन में कई बार ले सकते हैं।
शाम को भूख लगने पर भुना अनाज, अदरक की चाय, गिलोय का काढ़ा आदि ले सकते हैं।
रात्रिकालीन भोजन
रात का भोजन सोने से तीन घंटे पूर्व लें, लेकिन भूख लगने पर।
भोजन में पतली खिचड़ी गाय के घी के साथ लें। खिचड़ी पकाने से पहले उसमें सब्जियां भी मिला लें।
सोने से पहले एक से तीन ग्राम हरड़ का चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
विशेष सावधानी : मीठा-खट्टा, नमकीन (मधुर, अम्ल लवण रस युक्त आहार) अत्यधिक मात्रा में न लें। इस समय दही लेने की अनुमति आयुर्वेद नहीं देता है।
डॉ. पाठक के मुताबिक हमारी रसोई में मौजूद मसाले रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। हल्दी, काली मिर्च, सौंफ, अजवायन, मेथी, धनिया, आँवला, सोंठ की इसमें अहम भूमिका है।
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