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    Cyber Fraud in UP : टेलीग्राम पर दस प्रतिशत रकम देकर ग्रामीणों के खाते किराए पर ले रहे साइबर ठग

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 06:59 PM (IST)

    Cyber Fraud in UP पुलिस ने जांच शुरु की तो पता चला जालसाज टेलीग्राम एप पर संपर्क करते हैं वहां बिना नाम के सिम खाते समेत मिल जाते है। वहां से उन खातों को खरीदा जाता है जिनके बारे में मालिक को नहीं पता होता है। पूछताछ की गई तो पता चला कि खाता देने वाला व्यक्ति ठगी की रकम का दस प्रतिशत हिस्सा लेता है।

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    टेलीग्राम पर दस प्रतिशत रकम देकर ग्रामीणों के खाते किराए पर ले रहे साइबर ठग

    आयुष्मान पांडेय, जागरण, लखनऊ : साइबर जालसाजों को पकड़ना पुलिस के लिए मुश्किल होता जा रहा है। अब वे ठगी की रकम मंगाने के लिए किराए के खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन्हें टेलीग्राम ऐप के माध्यम से हासिल किया जाता है।

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    खाता प्रदान करने वाला व्यक्ति ठगी की रकम का दस प्रतिशत हिस्सा लेता है। जैसे ही रकम आती है, जालसाज कुछ ही घंटों में ट्रेडिंग के माध्यम से इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल लेते हैं और फिर नकद या ट्रांसफर के जरिए मंगवा लेते हैं। इसी तरीके से कालेधन को भी आसानी से सफेद किया जा रहा है। क्रिप्टोकरेंसी की रकम में हेराफेरी करने वाले आठ ट्रेडर्स की गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में उड़ीसा समेत अन्य राज्यों में दबिश दे रही है। जल्द ही और लोग भी सामने आ सकते हैं।

    साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी के नाम पर ट्रेडिंग करने वालों को पकड़ा गया। उनसे विस्तार से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि किसी से रकम ठगी जाती है, तो उसे एक से डेढ़ घंटे के अंदर म्यूल खाते (इन्हीं खातों को टेलीग्राम से खरीदा जाता) में ट्रांसफर कर देते हैं। इसके बाद जालसाज उसी रकम को उनतक पहुंचा देता है। वह लोग उस रकम को अलग-अलग तरह से इन्वेस्ट कर देते हैं। फिर अपना हिस्सा निकाल जालसाज के बताए खातों में शेष ट्रांसफर कर देते है। इससे ठगी करने वाला जालसाज भी नहीं पकड़ा जाता है।

    उधर, ठगी का शिकार हुए पीड़ित पुलिस से शिकायत करते हैं, तो खाता मालिक से पुलिस संपर्क करती। वह बताता है कि उसे खाते के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। यही नहीं वह लोग खाता खुलवाने की स्थिति में तक नहीं होते हैं। इसी को जानने के लिए जब पुलिस ने जांच शुरु की तो पता चला जालसाज टेलीग्राम एप पर संपर्क करते हैं, वहां बिना नाम के सिम, खाते समेत मिल जाते है। वहां से उन खातों को खरीदा जाता है, जिनके बारे में मालिक को नहीं पता होता है। पूछताछ की गई तो पता चला कि खाता देने वाला व्यक्ति ठगी की रकम का दस प्रतिशत हिस्सा लेता है। इस मामले में साइबर क्राइम के अपर पुलिस आयुक्त बंसत कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि साइबर टीम इसपर काम कर रही है। जल्द ही अन्य लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी।

    दस्तावेज करते एकत्रित, बैंक के सदस्य भी शामिल

    पुलिस ने बताया कि खाते बेचने वाले लोग गांव-गांव जाकर अलग-अलग स्कीम के नाम पर सभी के दस्तावेज एकरत्रित करते हैं। उनके हस्ताक्षर और अंगूठा लगवा लेते हैं। फिर बैंककर्मियों की मदद से आसानी से खाता खुल जाता है। यह खेला कई रास्जों में खेला जा रहा है। इस क्रम में गांव-गांव जाकर दस्तावेज एकत्रित करने वालों के बारे में पता लगाया जा रहा है। साथ ही बैंक वालों का भी पता लगाया जा है, ताकि इस खेल रोका जा सके।

    कालेधन को सफेद में करने में शामिल

    ट्रेडर्स के पास बड़ी संख्या में हाइ प्रोफाइल लोगों के नाम मिले हैं। यह लोग उनके काले धन को लेकर इसी तरह से सफेद कर रहे हैं। इसमें ट्रेडिंग करने वालों को अच्छी रकम मिलती है। इसी की मदद से यह लोग अपनी लग्जरी लाइफ जी रहे हैं। इस क्रम में भी जांच चल रही है।

    पचास हजार से ज्यादा म्यूल खाते करवाए बंद

    साइबर टीम ने बीते कुछ हफ्तों में पचार हजार से ज्यादा म्यूल खाते बंद करवाए हैं। साथ ही बैंक के नोडल अधिकारियों से संपर्क किया है। उनसे पूछा जा रहा है, जिन खातों में केवाइसी हर तीन महीने में नहीं हो रही है तो उनको बंद क्यों नहीं करवाया जा रहा है।