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CSIR-CDRI ने खोजी कोरोना वायरस की पहली एंटीवायरल ड्रग, मध्यम व कम गंभीर मरीजों में कारगर है उमिफेनोविर

सीएसआइआर-सीडीआरआइ के निदेशक प्रो. तपस कुंदु ने बताया कि कोरोना पैंडेमिक के दौरान सीडीआरआइ के 16 सदस्यों की अनुशंसा पर उमिफेनोविर को ट्रायल के लिए चुना गया। तीन चरणों के ट्रायल के बाद इसे बिना लक्षणों वाले व मध्यम एवं कम गंभीर मरीजों के इलाज में प्रभावी पाया गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 07:10 AM (IST)
CSIR-CDRI ने खोजी कोरोना वायरस की पहली एंटीवायरल ड्रग, मध्यम व कम गंभीर मरीजों में कारगर है उमिफेनोविर
केजीएमयू-लोहिया और एरा मेडिकल कालेज के 132 मरीजों पर हुआ सफल ट्रायल।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर-सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने कोरोना के खिलाफ देश की पहली एंटीवायरल ड्रग उमिफेनोविर की खोज कर ली है। सीडीआरआइ ने केजीएमयू-लोहिया और एरा मेडिकल कालेज के 132 मरीजों पर तीसरे फेज के सफल ट्रायल के बाद इसे कोरोना के बिना लक्षणों वाले और मध्यम व कम गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर बताया है। वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा प्लस वैरिएंट में भी इस एंटीवायरल ड्रग के काम करने की पूरी उम्मीद है, क्योंकि डेल्टा वैरिएंट के मरीजों में भी इसे असरदार पाया गया है।

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सीएसआइआर-सीडीआरआइ के निदेशक प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान सीडीआरआइ के 16 सदस्यों की अनुशंसा पर उमिफेनोविर को ट्रायल के लिए चुना गया। तीन चरणों के ट्रायल के बाद इसे बिना लक्षणों वाले व मध्यम एवं कम गंभीर मरीजों के इलाज में प्रभावी पाया गया है। इस तरह के कोरोना मरीजों में वायरस के असर को लगभग खत्म करने के लिए उमिफेनोविर की 800 एमजी की डोज दिन में दो बार सिर्फ पांच दिनों तक लेनी होती है। इससे तेज रिकवरी होती है। ट्रायल में 18 से 75 वर्ष तक की आयुवर्ग के लोगों को रखा गया। दवा बनाने की तकनीक गोवा की मेडिजेस्ट मैसर्स को दी गई है। जल्द ही इसे टैबलेट व सिरप के रूप में बाजार में उतारा जाएगा। इसकी कीमत मरीजों की पहुंच में होगी। उन्होंने बताया कि करीब 20 वर्षों से इस दवा का इस्तेमाल रूस, चीन समेत अन्य देशों में एन्फ्लूएंजा व निमोनिया के इलाज में होता रहा है।

अब गर्भवतियों और बच्चों पर भी होगा ट्रायल : प्रो. तपस कुंडू के अनुसार उमिफेनोविर को प्रथम दृष्टया गर्भवतियों और बच्चों में भी प्रभावी पाया गया है, मगर इन पर अभी ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। आगे गर्भवतियों और बच्चों पर भी ट्रायल किया जाएगा। मौजूदा ट्रायल ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया की ओर से इमरजेंसी अनुमति मिलने के बाद तीन अक्टूबर 2020 से 28 अप्रैल 2021 के बीच किया गया। इसमें पहली और दूसरी लहर से प्रभावित मरीज शामिल थे।

ट्रायल टीम में शामिल मुख्य लोग : सीडीआरआइ के डाक्टरों व केमिस्टों के अलावा लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. विक्रम सि‍ंह, केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डा. हिमांशु रेड्डी, डा. वीरेंद्र आतम व एरा मेडिकल कालेज के डीन डा. एमएमए फरीदी शामिल रहे। सीडीआरआइ ने अब तक करीब तीन लाख कोरोना टेस्ट करने का भी दावा किया है। साथ ही, कोरोना जांच की नई इंडीजीनियस आरटीपीसीआर किट भी बनाई है, जिसकी तकनीक एक कंपनी को हस्तांतरित कर दी गई है। साथ ही, उभरते वायरल संक्रमण के मद्देनजर सीएम योगी के निर्देश पर यूनिट आफ एक्सीलेंस इन वायरल रिसर्च एंड थेरेप्यूटिक्स की स्थापना की गई है।  


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