सीमाओं में नहीं बंध सकता वायु प्रदूषण, 'एयरशेड' मॉडल की जरूरत
सीमा पार प्रदूषण से निपटने के लिए विशेषज्ञ, नीति निर्माता और मीडिया प्रतिनिधि एक मंच पर आए। वक्ताओं ने वायु प्रदूषण को सीमाओं से परे एक क्षेत्रीय समस्या बताया, जिसके समाधान के लिए 'एयरशेड' मॉडल और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाने और जन सहभागिता को महत्वपूर्ण बताया।

शोभित श्रीवास्तव, काठमांडू। वायु प्रदूषण को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है। यह एक देश नहीं बल्कि इंडो-गंगा मैदान, हिमालय की तराई और हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र की समस्या है। इसकी चुनौतियों का समाधान केवल क्षेत्रीय सहयोग से ही संभव है। इसके लिए ‘एयरशेड’ मॉडल जरूरी है।
सीमा पार प्रदूषण से निपटने को गुरुवार को संचार विशेषज्ञ, नीति-निर्माता, तकनीकी जानकार और मीडिया प्रतिनिधि एक मंच पर जुटे। सभी इस बात पर एकमत थे कि सरकार के समर्थन व जनसहभागिता के बिना इससे निपटना संभव नहीं है।
भारत, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार व पाकिस्तान के सहयोग से बनी इंटरनेशनल सेंटर फार इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आइसीआइएमओडी) द्वारा काठमांडू में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है।
कार्यशाला में संस्था के महानिदेशक पेमा ग्याम्त्शो ने कहा कि वायु प्रदूषण के समाधान हैं, बस हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा। संस्था, भूटान और नेपाल के साथ मिलकर एक क्लीन एयर एक्शन प्लान भी तैयार कर रही है।
वायु प्रदूषण को जब राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, तो इससे समाधान प्रक्रिया बाधित होती है। विश्व बैंक के विदेश मामलों के सलाहकार सुदीप मजूमदार ने कहा कि वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण तभी संभव है, जब सरकार प्रभावी तरीके से जागरूकता अभियान चलाए।
उन्होंने खुले में शौच मुक्त अभियान का उदाहरण देते हुए कहा कि यह तभी सफल हुआ जब सरकार ने ग्रामीणों को समझाने के लिए अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकार को प्रचार अभियान में जोड़ा।
विशेषज्ञों ने कहा कि ईंट भट्ठों की स्वच्छ तकनीक का असर कई क्षेत्रों में नजर आ रहा है। पाकिस्तान समेत अन्य देश भी इसी तकनीक पर आगे बढ़ रहे हैं। बांग्लादेश के पत्रकार ने कहा कि नई तकनीक अपनाने में ईंट भट्ठा मालिकों के विरोध और राजनीतिक अर्थशास्त्र की चुनौतियां बड़ी बाधा बनी हुई हैं।
कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वहां की सरकार और समाजसेवी संस्थाओं ने भी काफी प्रयास किए हैं, लेकिन अभी भी दिल्ली समेत आसपास के कई शहरों में प्रदूषण की स्थिति काफी खराब है। इससे स्पष्ट है की सभी देशों को इस मुद्दे पर जनसहभागिता के साथ काम करना होगा।
क्या है एयरशेड मॉडल
एयरशेड एक भौगोलिक क्षेत्र है, जहां वायु प्रदूषण को समग्र रूप से मापा जाता है और इसका प्रबंधन भी एक साथ किया जाता है। समग्रता में देखने की वजह ये है कि वायु प्रदूषण किसी एक शहर या एक राज्य की सीमा तक नहीं बंधा है। वायु प्रदूषण के प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए शहरों, राज्यों और इससे आगे जाकर पड़ोसी देशों के बीच आपसी सहयोग की आवश्यकता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।