नकली दवा माफिया की अब खैर नहीं! सरकार ने चलाया बड़ा अभियान; पड़ोसी जिलों के अफसरों को मिली जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने दवा बाजार में नकली और कम गुणवत्ता वाली दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने पड़ोसी जिलों के औषधि निरीक्षकों को दवाओं की जांच और नमूने लेने की जिम्मेदारी सौंपी है। ये निरीक्षक हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और पंजाब की कंपनियों की दवाओं पर विशेष ध्यान देंगे।

हेमंत श्रीवास्तव, लखनऊ। दवा बाजार में नकली और अधोमानक दवाएं खपाने वाले कारोबारियों की नकेल कसने का इंतजाम सरकार ने कर दिया है। जिसके तहत खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने दवाओं की जांच व नमूने लिए जाने की जिम्मेदारी पड़ोसी जिलों के औषधि निरीक्षकों को दे दी है।
ये निरीक्षक अचानक पड़ोस के जिलों में जाएंगे और दवाओं के नमूने लेंगे। इनकी नजरें सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब की कंपनियों की दवाओं पर रहेंगी। जिससे इन राज्यों की कंपनियों के नाम पर बाजार में बिक रहे नकली व अधोमानक दवाओं के कारोबार पर रोक लगाई जा सके। विभागीय समीक्षा में यह बात निकलकर सामने आई है कि जिलों में तैनात औषधि निरीक्षकों द्वारा बहुत कम नमूने लिए जा रहे हैं।
इनके द्वारा जो नमूने लिए जा रहे हैं उनमें औपचारिकता निभाने की मंशा अधिक नजर आती है। जिसके बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त राजेश कुमार उन्होंने दवाओं व कास्मेटिक उत्पादों के नमूने लिए जाने और जांच की जिम्मेदारी पड़ोसी जिलों (अंतरजनपदीय) के औषधि निरीक्षकों को दे दी है।
इस व्यवस्था से नकली व अधोमानक दवा का कारोबार करने वालों की दिक्कतें बढ़ेंगी। आयुक्त ने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब व अन्य राज्यों की दवा निर्माता कंपनियों की वे दवाओं के नमूने शीर्ष प्राथमिकता पर लें।
इसके साथ ही महंगी तथा अधिक बिकने वाली दवाओं पर विशेष नजर रखने और उनके नमूने लिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। आयुक्त द्वारा जारी आदेश में मनोरोग में दी जाने वाली दवाओं तथा कोडीन युक्त सीरप के नमूने भी अधिक लेने के लिए कहा गया है। थर्ड पार्टी औषधि निर्माण की दवाएं और कास्मेटिक के नमूने भी प्राथमिकता के आधार पर लिए जाएंगे।
कास्मेटिक उत्पादों में लिपिस्टिक, बिंदी और रसायनयुक्त सिंदूर के नमूने अधिक लेने के लिए कहा गया है। आयुक्त का कहना है कि महंगी दवाओं के नाम से नकली दवाएं बनाने की कोशिश दवा माफिया करते हैं। तमाम दवाओं को लोग नशे के लिए प्रयोग करने लगते हैं।
ऐसी दवाओं में भी अधोमानक व नकली होने की संभावना अधिक रहती है। लिपिस्टिक, सिंदूर व बिंदी में खतरनाक रसायनों का प्रयोग तो नहीं हो रहा है. इसकी जांच करने के लिए इनके नमूने लिए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
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