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    UP Electricity Privatisation: ट्रिब्यूनल का निर्णय आने तक आयोग नहीं दे सकता निजीकरण पर सलाह, मुकदमे विचाराधीन

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 09:00 AM (IST)

    उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से बिजली कंपनियों के निजीकरण पर फिलहाल कोई सलाह न देने का आग्रह किया है। परिषद का कहना है कि वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक के टैरिफ आदेशों पर मुकदमे अभी अपीलेट ट्रिब्यूनल में विचाराधीन हैं। इन मुकदमों का फैसला आने के बाद परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में बदलाव हो सकता है जिससे निजीकरण का वर्तमान मूल्यांकन प्रभावित होगा।

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    ट्रिब्यूनल का निर्णय आने तक आयोग नहीं दे सकता निजीकरण पर सलाह

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किए गए विधिक प्रस्ताव के माध्यम से कहा है कि आयोग बिजली कंपनियों के निजीकरण पर फिलहाल कोई सलाह नहीं दे सकता। कारण है कि पांच वर्ष के टैरिफ आदेशों पर अपीलेट ट्रिब्यूनल में दायर वाद अभी विचाराधीन ही हैं।

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    परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर विधिक प्रस्ताव सौंपा।

    आयोग को बताया कि वर्ष 2018-19 से वर्ष 2024-25 तक के टैरिफ आदेश से संबंधित विचाराधीन वादों में अपीलेट ट्रिब्यूनल का निर्णय आते ही परिसंपत्तियों की वैल्यू तथा बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 33,122 करोड़ रुपये के आंकड़ों में बदलाव हो सकता है। ऐसे में निजीकरण के लिए बिजली कंपनियों का मूल्यांकन अभी नहीं किया जा सकता है।

    उन्होंने कहा है कि ट्रि्ब्यूनल में विचाराधीन मुकदमों में आने वाले निर्णय पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम की परिसंपत्तियों के मू्ल्यांकन को प्रभावित करेंगे। इन दोनों कंपनियों की परिसंपत्तियां के करीब 2500 करोड़ रुपये के दावे को आयोग ने खारिज किया था।

    उन्होंने बताया है कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से वर्ष 2018-19 से वर्ष 2024-25 तक नियामक आयोग द्वारा दिए गए टैरिफ आदेश को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई है। ऐसी स्थिति में आयोग को 42 जिलों की बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करना चाहिए।

    सरकार को भी बताना चाहिए कि ट्रिब्यूनल का निर्णय आने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है। यह भी बताया है कि नोएडा पावर कंपनी ने पहले से ही वर्ष 2019-20 से लेकर वर्ष 2024-25 तक बिजली दरें तय करने के लिए जो मल्टी ईयर टैरिफ कानून बनाया गया है उसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखा है। इस मामले में भी सुनवाई चल रही है जिसमें आयोग भी पक्षकार है।