UP Politics: कांग्रेस नेता नकुल दुबे बोले- मायावती ने दलितों के नाम पर अपने अलावा किसे प्रमोट किया
भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने पर मायावती ने सवाल खड़े करते हुए कहा था कि देश में अबतक कोई दलित पीएम नहीं बना है। मायावती के इस बयान पर कांग्रेस नेता नकुल दुबे ने पलटवार किया है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। देश में दलित समुदाय के व्यक्ति के प्रधानमंत्री नहीं बनने के लिए भाजपा और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने वाली बसपा अध्यक्ष मायावती पर कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष नकुल दुबे ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मायावती ने सिर्फ अपना भला किया है।
दलितों के बारे में सिर्फ कांग्रेस ने सोचा- नकुल दुबे
- कांग्रेस नेता ने कहा कि दलितों के नाम पर मायावती ने भी तो सिर्फ खुद को प्रमोट किया। मायावती ने गुरुवार को कहा था कि देश में दलित समुदाय के किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री न बनने देने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों जिम्मेदार है।
- बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए नकुल दुबे ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि आरोप कोई कुछ भी लगाए लेकिन दलितों के बारे में सिर्फ कांग्रेस ने ही सोचा।
- कांग्रेस ने डा.भीमराव अंबेडकर को देश का कानून मंत्री बनाया तो जगजीवन राम को मंत्री के रूप में रक्षा, कृषि और श्रम जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की बागडोर सौंपी।
- कांग्रेस ने ही मीरा कुमार को लोक सभा अध्यक्ष बनाया और अब मल्लिकार्जुन खडग़े को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। दुबे ने मोदी-योगी सरकारों की नीतियों की भी आलोचना की।
- प्रांतीय अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में लखनऊ और देवीपाटन मंडलों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें कर निकाय चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की।
मायावती ने कांग्रेस और भाजपा पर किया था हमला
भारतीय मूल के ऋषि सुनक के अन्ततः ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचने पर यहां कांग्रेस व बीजेपी में ट्विटर वार, आरोप-प्रत्यारोप व इधर-उधर की बात जारी है, किन्तु उस राजनीतिक हक व इंसाफ की बातें नहीं की जा रही हैं जिस कारण देश में अभी तक कोई दलित पीएम नहीं बन पाया है। ऐसे समय जब अमेरिका व यूरोप के अमीर व विकसित देश जबर्दस्त संकटों के बुरे दौर से जुझ रहे हैं तथा स्थिति को संभालने के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं, भारतीय हुक्मरानों को भी देशहित व यहां की जनता के भविष्य के लिए अपनी संकीर्ण एवं जातिवादी सोच को त्यागना ही होगा। इसी क्रम में यह जांच/परख जरूरी है कि दलित, पिछड़े व उपेक्षितों का सच्चा हितैषी कौन? क्या परमपूज्य बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को भुलाकर उनके करोड़ों अनुयाइयों का कोई असली हितैषी हो सकता है, जैसाकि श्री खड़गे सहित अन्य विरोधी नेतागण उनकी पार्टी की संकीर्ण सोच से मजबूर हैं।
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