Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lucknow: पार्षदों के टिकट वितरण को लेकर भाजपा में टकराव की स्थिति, हर वार्ड में कई दावेदार

    Municipal Elections टिकट पाने को लेकर चरण वंदना लखनऊ से लेकर दिल्ली दरबार तक हो रही है तो संघ के खेमे में भी वर्तमान और पूर्व पार्षद समेत पदाधिकारी अपनी सक्रियता दिखाने में जुटे हैं। पार्षदों को टिकट दिलाने के लिए कई नेता की प्रतिष्ठा दांव पर है।

    By Vikas MishraEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 02:52 PM (IST)
    Hero Image
    विधानसभा चुनाव से पहले अपने ही विधायकों की विरोध करने वाले कई पार्षदों के टिकट पर आरी चल सकती है

    लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। आग लगी है तो धुंआ भी उठना तय है। यह धुआं भी नवंबर व दिसंबर में होने वाले पार्षद चुनाव में उठता दिखेगा। विधानसभा चुनाव से पहले ही अपने ही विधायकों की विरोध करने वाले कई पार्षदों के टिकट पर आरी चल सकती है, लेकिन इससे भाजपा खेमे में द्वंद भी मंच सकता है। टिकट वितरण को लेकर अभी से सबकी प्रतिष्ठा जुड़ी दिख रही है। अगर विरोध करने वाले किसी पार्षद का टिकट कटा तो कई अन्य प्रभावशाली नेताओं की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा हो जाएगा तो वहीं अगर टिकट मिला तो विधायकी का परचम फैलाने वाले नेताओं को बैकफुट पर आना पड़ सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टिकट पाने को लेकर चरण वंदना लखनऊ से लेकर दिल्ली दरबार तक हो रही है तो संघ के खेमे में भी वर्तमान और पूर्व पार्षद समेत पदाधिकारी अपनी सक्रियता दिखाने में जुटे हैं। पूर्वी विधानसभा सीट से विधायक व तत्कालीन नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन का खुलकर विरोध करने वाले मैथिलीशरण गुप्त वार्ड से भाजपा पार्षद दिलीप श्रीवास्तव को पिछले पार्षद चुनाव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित की कृपा पात्र से टिकट मिल गया था।

    बीते विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्षद दिलीप आशुतोष टंडन के खिलाफ फिर से मुखर हो गए थे और सोशल मीडिया से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से शिकायत करने के साथ ही टंडन को टिकट न दिए जाने की मांग करने लगे थे। अब दिलीप को उम्मीद है कि राजनाथ सिंह ही उनकी ''रक्षा' करेंगे और दावा कर रहे हैं रक्षा मंत्री का आशीर्वाद भी उन्हें मिल गया है।

    इसी तरह बाबू जगजीवन राम वार्ड से पार्षद भृगुनाथ शुक्ला ने भी खुले मंच से आशुतोष टंडन का विरोध किया गया हालांकि तमाम विरोधों के बाद भी आशुतोष टंडन हर बार जीत का परचम का फहराते रहे लेकिन बदले की आग उनके चेहरे पर साफ झलकती है। दबी जुबान से वह बहुत कुछ कह जाते हैं। उत्तरी विधानसभा सीट से पहली बार भी परचम फहराने के साथ ही दूसरी बार मैदान में उतरे भाजपा विधायक डा. नीरज बोरा को भी अपने ही पार्षदों का विरोध झेलना पड़ा था।

    त्रिवेणीनगर वार्ड से कई बार से पार्षद देव शर्मा मिश्र ''मुन्ना मिश्र' और जय शंकर प्रसाद वार्ड से पूर्व पार्षद (वर्तमान में गीता अवस्थी महिला सीट होने से पार्षद) और कार्यवाहक महापौर की जिम्मेदारी निभा चुके सुरेश अवस्थी कई कार्यकर्ताओं और पूर्व पार्षदों के साथ नीरज बोरा को टिकट देने का विरोध करने लगे थे। विरोध इस कदर बढ़ा कि नीरज बोरा को समर्थकों संग सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने दिल्ली दरबार जाना पड़ा था। इतना ही नहीं तत्कालीन उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा को रूठों को मनाने के लिए मैदान में उतरना पड़ा था।

    डा.शर्मा मुन्ना मिश्र के त्रिवेणीनगर आवास पर पहुंच गए थे, जहां पर नीरज बोरा के साथ ही उन सभी को बुलाया गया, जो उनका विरोध कर रहे थे। यही कारण है कि अपनों का विरोध होने से डा. नीरज बोरा को सपा उम्मीदवार पूजा शुक्ला से कड़ी टक्कर के बाद जीत मिल पाई थी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मध्य सीट छोड़कर कैंट से जीत हासिल की थी। कैंट सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर कई प्रभावशाली चेहरे हैं, जो अपने को टिकट दिलाने में जोर अजमाइश करेंगे।

    वैसे तो ब्रजेश पाठक अपनों को टिकट दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन कैंट क्षेत्र के सिंगार नगर में रहने वालीं महापौर संयुक्ता भाटिया और संघ से जुड़े उनके पुत्र प्रशांत भाटिया भी अपने को टिकट दिलाने में अहम रोल अदा करेंगे तो प्रयागराज से सांसद व पूर्व में कैंट से विधायक रहीं डा. रीता बहुगुणा जोशी भी अपने को टिकट दिलाने में परदे के पीछे से भूमिका निभाएंगी।

    विधायक चुनाव में भी वह अपने बेटे मंयक जोशी को टिकट दिलाने को लेकर चर्चा में आ गईं थीं, लेकिन सफल नहीं हो पाई थीं। वैसे कैंट सीट से सपा के टिकट से विधायकी का चुनाव लड़ीं मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अर्पणा विष्ट यादव अब भाजपा में हैं और उनके पास भी पार्षदी का टिकट मांगने वाले दरबारी कर रहे हैं, जबकि पूर्व विधायक सुरेश तिवारी भी सक्रिय भूमिका में दिख रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर दावेदारों से अधिक चेहरे उनके हैं जो टिकट देने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं और आपसी टकराव भी सामने दिखाई देगा। वैसे तो मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ता भी पार्षद का टिकट पाने के लिए ब्रजेश पाठक से उम्मीदें लगाए हुए हैं।

    टिकट वितरण में विधायकों का अहम रोलः भाजपा में पार्षदी उम्मीदवार का टिकट देने में विधायकों का मुख्य भूमिका होती है लेकिन संगठन के साथ ही सांसद की भी चलती है। वैसे रक्षा मंत्री के बेटे और भाजपा के युवा नेता नीरज सिंह से भी टिकट पाने वाले संपर्क बनाए हुए हैं कुछ समय में नीरज सिंह ने लखनऊ में भाजपा खेमे में खासी पहचान बनाई है। इसी तरह कुछ टिकटों में पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा भी अहम रोल अदा करेंगे। बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने लेकर बलिया से विधायक व परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह भी अपनों को टिकट दिलाने में सक्रिय दिखेंगे।