बीमा कंपनी से अनुबंध खत्म, होमगार्डों की मौत पर मिलने वाला मुअावजा बंद
375 रुपये दिहाड़ी में 12 घंटे ड्यूटी करने वाले होमगार्डों की मौत के बाद उनके परिवार मुफलिसी में जी रहे हैं। इसका मुख्य कारण है विभाग से छह महीने पहले बीमा कंपनी का अनुबंध खत्म होना।
लखनऊ [सौरभ शुक्ला] पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 375 रुपये दिहाड़ी में 12 घंटे ड्यूटी करने वाले होमगार्डों की मौत के बाद उनके परिवार मुफलिसी में जी रहे हैं। इसका मुख्य कारण है विभाग से छह महीने पहले बीमा कंपनी का अनुबंध खत्म होना। इससे बीते छह माह में ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में जान गंवाने वाले परिवारों को दुर्घटना बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा। पूर्व में इसके तहत दिवंगत जवानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये आर्थिक सहायता मिलती थी।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक जून से नवंबर तक पूरे प्रदेश में कुल 27 होमगार्डों की मौत हो चुकी है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। विभाग के उच्चाधिकारी सिर्फ आए दिन नई-नई योजनाएं लागू करने का हवाला देकर होमगार्डों के अच्छे दिन की शुरुआत होने का दावा कर रहे हैं। बीमा योजना शुरू करने के लिए बीमा कंपनी को विभाग द्वारा डेढ़ करोड़ रुपये दिए जाने हैं। स्थिति यह है कि लखनऊ, झांसी, हापुड़, बाराबंकी, मथुरा, मेरठ समेत अन्य जिलों के जिला कमांडेंट ने ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में हुई होमगार्डों की मौत के संबंध में उत्तर प्रदेश होमगार्ड मुख्यालय को सूची भेजी हुई है। सभी ने इस सूची के अनुसार मृतक आश्रितों को बीमा की राशि का भुगतान कराने की मांग की है, लेकिन संबंधित जिलों को मुख्यालय से पत्र भेजकर सूचित किया गया है कि बीमा कंपनी से अनुबंध समाप्त होने के कारण भुगतान नहीं किया जा सका।
ये हैं विभाग के नियम
-दुर्घटना के फलस्वरूप मृत्यु होने पर- 5,00,000 रुपये
-दुर्घटना के कारण दोनों आंखों अथवा हाथ व पैरों की हानि होने पर-5,00,000 रुपये
-एक अंग अथवा एक आंख पूर्ण रूप से हानि होने पर- 2,50,000 रुपये
-उपरोक्त के अतिरिक्त पूर्ण स्थायी अपंगता पर- 5,00,000 रुपये
-दुर्घटना के कारण मृत्यु होने पर शव निवास स्थान तक ले जाने हेतु पूरा व्यय : विभाग द्वारा।
'जून में बीमा कंपनी से अनुबंध समाप्त हो गया था। इस कारण मृतक आश्रितों को आर्थिक मदद अभी तक नहीं मिल सकी। अब विचार बना है कि विभाग द्वारा ही सीधे परिवारीजन को आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। क्योंकि बीमा कंपनी के लोग भुगतान के दौरान बहुत आनाकानी करते हैं।
-डॉ. सूर्य कुमार शुक्ला, डीजी होमगार्ड
'बीमा कंपनी क्लेम देने में बहुत विलंब करती हैं, जबकि मृतक आश्रित परिवार को तत्काल आर्थिक मदद की जरूरत होती है। इस कारण पुलिस विभाग की तरह ही होमगार्ड विभाग में भी अधिकारियों की कमेटी बनाकर उस कोष में रुपया जमा कराया जाएगा, ताकि मृतक आश्रित परिवार को अविलंब मदद मिल सके।
-अनिल राजभर, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार होमगार्ड एवं पीआरडी
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