UP News: अब चार भूखंडों को मिलाकर करा सकेंगे निर्माण, नई भवन निर्माण उपविधि 2025 लागू
लखनऊ में अब आवासीय भूखंडों को मिलाकर निर्माण किया जा सकेगा यदि वे न्यूनतम नौ मीटर चौड़ी सड़क पर हों। 12 मीटर चौड़ी सड़क पर गैर-आवासीय भूखंडों का आमेलन भी संभव है। न्यूनतम 200 वर्गमीटर के भूखंड को दो भागों में बांटा जा सकता है। इसके लिए विकास प्राधिकरण से अनुमति और शुल्क देना होगा। गरीब वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस-एलआइजी योजनाओं के भूखंडों को मिलाने पर रोक रहेगी।
अजय जायसवाल, जागरण, लखनऊ। अब आसपास के चार भूखंडों को मिलाकर निर्माण कराया जा सकेगा। बशर्ते सभी आवासीय भूखंड न्यूनतम नौ मीटर चौड़ी रोड पर हों। अगर 12 मीटर चौड़ी सड़क है तो गैर आवासीय भूखंडों का आमेलन भी किया जा सकेगा। इसी तरह न्यूनतम 200 वर्गमीटर के भूखंड को दो हिस्से में विभाजित भी किया जा सकेगा।
भूखंड स्वामी को आमलेन या उप-विभाजन की विकास प्राधिकरण से अनुमति लेने के लिए शुल्क देना होगा। गरीब व निम्न आय वर्ग के लिए बनाए जाने वाले ईडब्ल्यूएस-एलआइजी और अफोर्डेबल आवासीय योजनाओं के भूखंडों को आपस में मिलाकर निर्माण करने पर रोक रहेगी।
शहरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के साथ ही शहरवासियों को आवासीय से लेकर अन्य भवनों के निर्माण में तमाम तरह की राहत देने के लिए राज्य सरकार ने व्यावहारिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 को प्रदेश में लागू कर दिया है।
नए सिरे से तैयार की गई उपविधि में पहली बार प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित या विकसित ले-आउट के न्यूमतम नौ मीटर रोड पर स्थित आवासीय भूखंडों के आमेलन या उप विभाजन को अनुमन्य किया गया है। आसपास के अधिकतम चार भूखंडों को ही आपस में मिलाकर निर्माण कराया जा सकेगा।
आमेलित भूखंड का उपयोग मूल भूखंड के अनुरूप ही होगा। जिन भूखंडों पर निर्माण हो चुका है, उनके आमेलन के मामले में संशोधित मानचित्र पास कराना होगा। आमेलन के लिए विकास शुल्क के साथ ही आमेलित भूखंड के मूल्य के एक प्रतिशत की दर से आमलेन शुल्क विकास प्राधिकरण को देना होगा।
अगर 200 वर्गमीटर या उससे बड़ा भूखंड न्यूनतम नौ मीटर (पार्क के सामने 7.5 मीटर) चौड़ी रोड पर है तो उसका उप विभाजन भी किया जा सकेगा। उप-विभाजन के बाद प्रत्येक भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल अनिवार्य रूप से 100 वर्गमीटर रखना होगा। उप-विभाजित भूखंड का उपयोग मूल भूखंड के अनुसार ही किया जा सकेगा।
मूल भूखंड के भू-आच्छादन, एफएआर एवं सेटबैक के प्रविधान प्रत्येक उपविभाजित भूखंड पर भी लागू होंगे। उप-विभाजन के लिए भी तय विकास शुल्क के साथ ही अविभाजित मूल भूखंड मूल्य के एक प्रतिशत की दर से उप-विभाजन शुल्क देना होगा।
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