दवा कंपनियों को आवंटित कोडीन से खुला सीरप का अवैध कारोबार, 52 जिलों में 332 फर्मों के कागजातों की जांच
लखनऊ में दवा कंपनियों को आवंटित कोडीन से सीरप के अवैध कारोबार का खुलासा हुआ। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो दवा बनाने के लिए अफीम आवंटित करता है। कोडीन कफ ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कोडीनयुक्त सीरप की अवैध बिक्री और भंडारण के मामले में जांच की आंच बड़ी कंपनियों तक पहुंची तब छोटे कारोबारी पकड़ में आए। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) एबाट, थ्री बी, लैबोरेट कंपनियों को जारी किए गए अफीम व कोडीन के कोटे से बने सीरप और दवाओं की जानकारी मांगी गई।
इस जानकारी के आधार पर दवा आपूर्ति करने वाली एजेंसी और उनसे थोक विक्रेताओं तक पहुंचा गया। दवा निर्माण से बिक्री तक की चेन की जांच की गई तो इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले सीरप के नशे के लिए अवैध कारोबार की पूरी परतें खुलती चली गई।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली अफीम और कोडीन के लिए हर साल कोटा जारी करता है। इसी कोटे में मिलने वाली औषधि श्रेणी की अफीम और कोडीन से कफ सीरप व अन्य नारकोटिक्स श्रेणी की दवाएं बनती हैं।
एफएसडीए की टीमों ने दवा निर्माण कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर इस पूरे खेल में शामिल रांची की शैली ट्रेडर्स से लेकर प्रदेश में चल रहे कोडीन युक्त सीरप के अवैध कारोबार का खुलासा कर दिया।
एबाट के कफ सीरप बेचने वाली 67 फर्म, थ्री बी कंपनी की कफ सीरप लेने वाली 35 फर्म, लैबोरेट के कफ सीरप बेचने वाली नौ फर्मों पर एफआइआर कराई गई है। लखनऊ की इधिका और आर्पाइक कंपनी ने रूड़की की शुभम फार्माकेम, जान्या बायोकेयर, ग्लोबिन से कफ सीरप बनवाकर उसकी अवैध बिक्री की थी। इन दोनों कंपनी सहित 13 फर्मों पर कार्रवाई कराई गई है।
एफएसडीए और एसटीएफ ने 52 जिलों में दवा कारोबार करने वाली 332 फर्मों के भंडारण और बिक्री के कागजातों की जांच की। जिसमें से 31 जिलों की 133 पर एफआइआर कराई गई। इन फर्मों ने अवैध तरीके से लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच के रास्ते वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश और नेपाल भेजा।
एफएसडीए के अधिकारी अभी कई और फर्मों के बिक्री के दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। जिनके तार बड़े व्यापारियों से जुड़े पाए गए हैं। गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद इन पर भी एफआइआर कराई जाएगी।

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