भ्रष्टाचार पर सीएम योगी का बड़ा एक्शन, IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को किया सस्पेंड
IAS Abhishek Prakash Pandey मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कड़ा एक्शन लिया है । आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश पांडे को सस्पेंड कर दिया है। यह कदम डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उठाया गया है। IAS अभिषेक प्रकाश लंबे समय तक लखनऊ के डीएम रह चुके हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। सोलर उद्योग लगाने के लिए रिश्वत मांगने के आरोप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। सेल (एसएईएल) सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के विश्वजीत दत्ता ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी।
2006 बैच के आइएएस अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव व इन्वेस्ट यूपी के सीईओ पद पर तैनात थे। इससे पहले वह लखनऊ के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं। पुलिस ने गोमती नगर थाने में एफआइआर दर्ज कर मंशा भवन, शांति नगर रेलवे रोड, मेरठ निवासी 40 वर्षीय बिलौलिये निकान्त जैन को गिरफ्तार कर लिया है।
आरोप क्या है?
एसएईएलके विश्वजीत दत्ता ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयत्र स्थापित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी को आनलाइन आवेदन किया था। साथ ही इन्वेस्ट यूपी के कार्यालय में आवेदन फाइल जमा कराई थी। उनके आवेदन पर मूल्यांकन समिति की बैठक हुई थी, जिसमें उनके आवेदन को स्वीकृति प्रदान की गई थी।
इससे पहले इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निजी व्यक्ति निकान्त जैन का नंबर दिया था और कहा था कि उससे बात कर लें। निकान्त ने उनके आवेदन पर पांच प्रतिशत का कमीशन मांगा था। उन्होंने कमीशन देने से मना कर दिया था। उन्होंने यह आरोप भी लगाए हैं कि उनके आवेदन को संस्तुति मिलने के बाद पत्रावली में टाल दिया गया था। इसके बाद निकान्त ने उनसे कहा था कि काम कमीशन देने के बाद ही होगा।
साथ ही कहा कि कमीशन देने पर इंपावर्ड कमेटी व कैबिनेट से तुरंत आवेदन को स्वीकृति दिला दी जाएगी। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत की थी। इसकी जांच कराई गई तो सारे मामले का राजफाश हो गया। नतीजतन निकान्त जैन को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके विरुद्ध मेरठ, लखनऊ व एटा में पहले भी तीन मामले दर्ज हैं। वहीं अभिषेक प्रकाश को भी प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। उनके विरुद्ध अलग से आरोप पत्र निर्गत किए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मूल्यांकन समिति की आड़ में हो रहा था कमीशनखोरी का खेल
जांच में यह बात सामने आई है कि मूल्यांकन समिति की आड़ में निवेशकों से कमीशनखोरी का गोरखधंधा चल रहा था। इस मामले में मूल्यांकन समिति की बीती 12 मार्च को हुई बैठक में सेल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर भी विचार किया गया, लेकिन यीडा व यूपीपीसीएल को दस्तावेज उपलब्ध कराने और पुर्नमूल्यांकन का पेंच फंसा कर अंतिम कार्यवृत्त जारी कर दिया गया। मूल्यांकन समिति की संस्तुति में परिवर्तन के बारे में पत्रावली में कोई जानकारी दर्ज नहीं की गई। इसी आधार पर अभिषेक प्रकाश की संलिप्तता मानते हुए उन्हें निलंबित किया गया है।
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