हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक सरकार की शीर्ष प्राथमिकता : योगी आदित्यनाथ
Top Priority of the Yogi Adityanath Government बेसिक शिक्षा विभाग को छात्र और शिक्षक के अनुपात को संतुलित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी माना कि सुधारों के पहले चरण में विरोध होना स्वाभाविक है लेकिन जब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे तो आलोचकों की आवाज खुद ही थम जाएगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता स्पष्ट कर दी। लोक भवन में बेसिक शिक्षा विभाग की 3,300 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास और शुभारंभ करने का दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि हर बच्चे को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
हर विद्यालय में इसके लिए शिक्षक की अनिवार्य उपस्थिति और बेहतर शिक्षक- छात्र अनुपात सुनिश्चित करना है। जहां शिक्षक होंगे, वहीं छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी। बेसिक शिक्षा विभाग को छात्र और शिक्षक के अनुपात को संतुलित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी माना कि सुधारों के पहले चरण में विरोध होना स्वाभाविक है, लेकिन जब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे, तो आलोचकों की आवाज खुद ही थम जाएगी।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर बताया कि 2017 से पहले परिषदीय स्कूल जर्जर स्थिति में थे। टूटे-फूटे भवन, गंदगी और अव्यवस्था आम थी। बच्चों की उपस्थिति बेहद कम थी और ड्रापआउट दर चिंताजनक, लेकिन ‘आपरेशन कायाकल्प’, ‘मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय’ और ‘निपुण आकलन’ जैसी योजनाओं ने परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया है। अब परिषदीय स्कूलों में शौचालय, स्वच्छ पेयजल, खेल के मैदान, स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं और छात्र संख्या 800 से बढ़कर 1200 तक पहुंच रही है।
मुख्यमंत्री ने बीएड और एमएड के छात्रों को ''निपुण आकलन'' में शामिल करने की बात कही ताकि वे आधुनिक शिक्षण तकनीकों से परिचित हो सकें और फील्ड अनुभव प्राप्त करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यालयों में आयोजित समर कैंप सिर्फ छुट्टी का विकल्प नहीं, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास का एक अवसर हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि 21 जून को होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां अभी से शुरू कर दी जाएं। सभी विद्यालयों में योग प्रशिक्षण प्रोटोकाल के अनुसार कराया जाए और बच्चों को तनावमुक्त करने के लिए इनडोर गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने शिक्षकों से राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने की अपील की।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि वर्ष 2017 में जो स्कूल बदहाल थे, उनमें अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है और बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। वहीं, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि पिछली सरकारों में बच्चों की शिक्षा के साथ राजनीति की जाती थी, लेकिन अब हर वादा पूरा हो रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, स्कूल महानिदेशक कंचन वर्मा सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, शिक्षक और अभिभावक मौजूद रहे।
कम बच्चों वाले स्कूल हो सकते हैं मर्ज
मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यक्रम में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई ग्राम पंचायत क्षेत्रफल में बड़ा है और वहां दो से तीन अलग-अलग स्थानों पर प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जहां कहीं 10, कहीं 15 और कहीं 25 बच्चे पढ़ते हैं, तो ऐसे स्कूलों को एकीकृत विद्यालय बनाया जा सकता है। इससे शिक्षक और छात्रों का अनुपात संतुलित होगा। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि एक शिक्षक पर केवल 15 बच्चे कब तक रहेंगे। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग को गंभीरता से विचार करना चाहिए। इससे कम संख्या वाले विद्यालयों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
हर विधानसभा में बनेंगे मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अभी हर जिले में दो - दो ‘मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय’ खुल रहे हैं। आगे विधानसभा क्षेत्र में एक अत्याधुनिक ‘मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय’ की स्थापना की जाएगी, जिन पर 25-30 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इनमें प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक की शिक्षा दी जाएगी और यह अटल आवासीय विद्यालय की तर्ज पर विकसित होंगे।
डीबीटी से बच्चों को 1,200 रुपये की सहायता
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से एक करोड़ से अधिक बच्चों के अभिभावकों के खातों में 1,200 रुपये की राशि स्थानांतरित की। इस धनराशि का उपयोग बच्चों की यूनिफार्म, जूते-मोजे, बैग और स्टेशनरी खरीदने में किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पैसा बच्चों की जरूरतों पर ही खर्च हो, इसकी जिम्मेदारी अभिभावकों और शिक्षकों दोनों की है। जुलाई से स्कूल चलो अभियान चलाने के निर्देश भी दिए।
बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में बढ़े कदम
मुख्यमंत्री ने कक्षा तीन से 12 तक के छात्रों के लिए ‘निपुण प्लस’ एप लांच कर दक्षता आधारित मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत की। साथ ही उन्होंने 139 कस्तूरबा विद्यालयों के भवनों और छात्रावासों का लोकार्पण किया, 43 मुख्यमंत्री माडल कंपोजिट और 66 मुख्यमंत्री अभ्युदय विद्यालयों का शिलान्यास किया। इसके अतिरिक्त 7,409 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, 5,258 में आइसीटी लैब, 503 पीएम श्री विद्यालयों में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना और 51,667 शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए गए। इस अवसर पर पांच श्रेष्ठ शिक्षकों को ‘निपुण आकलन’ में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। ‘सारथी’ और ‘अनुरूपण’ पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।
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