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    जल्द तय होगा कहां से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे योगी आदित्यनाथ व केशव मौर्य

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 18 Jul 2017 11:03 AM (IST)

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 19 मार्च को शपथ ली थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सांसद हैं जबकि बाकी तीन लोग किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।

    जल्द तय होगा कहां से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे योगी आदित्यनाथ व केशव मौर्य

    लखनऊ (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव लड़वाने की तैयारी में हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 29 जुलाई को लखनऊ आने के बाद से इनके चुनाव लडऩे का क्षेत्र भी तय हो जाएगा। 

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    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जुलाई महीन के अंतिम तीन दिन यानी 29 से लेकर 31 जुलाई तक लखनऊ में ही रहेंगे। अमित शाह का यह दौरा हर प्रदेश में संगठनात्मक मजबूती के लिए चल रहे प्रवास की कड़ी का हिस्सा है। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने की उम्मीद जगी है। वह मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री और दो मंत्रियों के लिए चुनाव क्षेत्र भी तय कर सकते हैं।

     

    भाजपा अध्यक्ष 29 जुलाई को जब यहां मौजूद होंगे तब उत्तर प्रदेश की प्रचंड बहुमत की सरकार के गठन के करीब साढ़े चार माह पूरे हो चुके होंगे। ऐसे में शाह के आने को लेकर यह भी कयास है कि उनकी मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा के लिए चुनाव क्षेत्र तय हो सकता है। 

     

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 19 मार्च को शपथ ली थी। सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सांसद हैं जबकि बाकी तीन लोग किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। इन सबको पद पर बने रहने के लिए शपथ से छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर तथा केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद के फूलपुर से सांसद हैं। राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति चुनाव होने के बाद योगी और केशव का संसद की सदस्यता से इस्तीफा होना तय है।

     

    योगी और केशव जनता के बीच से निर्वाचित प्रतिनिधि हैं इसलिए उनको विधानसभा चुनाव में उतारे जाने की चर्चा है जबकि बाकी के लिए विधान परिषद में जगह बनाई जा सकती है। इस बीच सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मई 2018 तक विधान परिषद में प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से सिर्फ एक जगह बची है। सपा से बसपा में जा चुके विधान परिषद सदस्य अंबिका चौधरी और बसपा से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता पर तलवार लटकी  है। इसके अलावा बदायूं स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए बनवारी यादव के निधन से एक सीट खाली है।

     

    अगर अंबिका और नसीमुद्दीन की सदस्यता निरस्त हुई तो ही परिषद में तीन लोगों की जगह बन सकती है। विशेषज्ञ इसमें कई पेंच बताते हैं। वैसे उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को विधान परिषद में नेता सदन बनाकर पहले से उन्हें एमएलसी बनाने का संकेत दे दिया गया है। योगी और केशव के लिए कई विधायक अपनी सीट छोडऩे को तैयार हैं।

     

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    सीट छोडऩे वाले विधायक के समायोजन से लेकर योगी और केशव के विधानसभा चुनाव लडऩे के बाद लोकसभा की खाली सीट पर उम्मीदवार तय करने समेत कई फैसले होने हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यह तो संसदीय बोर्ड तय करता है लेकिन, पार्टी प्रदेश में ही शाह की उपस्थिति में यह चयन कर माहौल बना सकती है।

     

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