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    फिर खुलेगी बंद फाइल, यूपी में 2 अधिकारियों ने एक-दूसरे के सिर पर लटकाई तलवार; पहले भी कर चुके शिकायत

    Updated: Tue, 25 Mar 2025 07:03 PM (IST)

    अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उपनिदेशक अमृता सिंह और संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए फिर शिकायत की है। अमृता सिंह ने सीबीआई जांच और पांडेय के निलंबन की मांग की जबकि पांडेय ने अमृता सिंह पर धनराशि गबन का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराने को कहा। निदेशालय ने बंद जांच फाइल फिर खोल दी है और शासन स्तर पर जांच शुरू हो गई है।

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    फिर खुलेगी बंद फाइल - प्रतीकात्मक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तैनात दो अधिकारियों की एक दूसरे के खिलाफ की गई शिकायत की जांच की बंद पड़ी फाइल फिर से खुलेंगी। विभाग में तैनात उपनिदेशक अमृता सिंह और संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने एक दूसरे के खिलाफ फिर से शिकायत की है।

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    इन दोनों अधिकारियों के पूर्व में एक दूसरे के खिलाफ भेजे गए पत्र के बाद की गई जांच की बंद फाइल को अब अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय फिर से खोलेगा। उपनिदेशक अमृता सिंह और संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने शासन को भेजे पत्र में एक दूसरे पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

    इन पत्रों की प्रति अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को भी भेजी गई है। उपनिदेशक अमृता सिंह ने शेषनाथ पांडेय के विरुद्ध सीबीआइ जांच कराने की मांग की है, वहीं संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने भी अमृता सिंह पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।

    उपनिदेशक अमृता सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि समूह घ के पदों पर नियुक्ति के लिए संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने अनियमित तरीके से वित्तीय सहमति और अनुमोदन दिया है। बलरामपुर में हुई भर्ती में भी अनियमितताएं की हैं।

    निजी व्यवसाय करने के भी लगाए आरोप

    मदरसा जामिया इस्लामिया मदनपुरा में परिचारक के पद पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुई नियुक्ति में भी संयुक्त निदेशक प्रथम दृष्टया दोषी प्रतीत होते हैं। अमृता सिंह ने शेषनाथ पांडेय पर अनुचित तरीके से आय प्राप्त करने और निजी व्यवसाय करने के भी आरोप लगाए हैँ।

    शेषनाथ पांडेय की मेरठ में तैनाती के दौरान कई स्कूलों के नाम से फर्जी खाते खुलवाकर सरकारी धन का गबन करने, केंद्र सरकार की योजना के तहत छात्रावास की रकम का बंदरबांट करने और गैर अल्पसंख्यक छात्रों के बैंक खातों में धनराशि भेजने, छात्रवृत्ति वितरण से जुड़ी पत्रावलियां गायब करवाने, गलत ढंग से पदोन्नति और करीब 200 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों की जांच सीबीआइ के साथ ईडी से कराने के साथ उनके निलंबन की मांग की है।

    प्रतीकात्मक तस्वीर। 

    अमृता पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप

    उधर संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने शासन को भेजे पत्र में अमृता सिंह पर अपने पद का दुरुपयोग कर अनर्गल शिकायतें करने का आरोप लगाया है। उन्होंने गाजियाबाद की जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रहते हुए एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि फर्जी मदरसों के खातों में भेजकर लाभ कमाया है। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन कर रहा है।

    जांच को प्रभावित करने के लिए उप निदेशक अमृता सिंह ने उनके (संयुक्त निदेशक) जाली हस्ताक्षर करके फर्जी अभिलेख तैयार किए हैं। इस संबंध में समुचित धाराओं में अमृता सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाए। वहीं, इस अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक अंकित अग्रवाल का कहना है कि दोनों अधिकारियों ने पहले भी एक दूसरे के खिलाफ शिकायत की थी। अब ताजा प्रकरण सामने आने के बाद पूर्व में की गयी जांच की रिपोर्ट की फाइल को फिर से देखा जा रहा है। शासन स्तर पर इसकी जांच शुरू हो गई है।