ब्लड कैंसर का इलाज अब सिर्फ 28 दिन में, सीमैप के वैज्ञानिकों ने जड़ी-बूटियों से तैयार की दवा; ह्यूमन ट्रायल की तैयारी
Blood Cancer Treatment is possible with CIMAP Ayurvedic Medicine निदेशक सीमैप डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कियह हमारे लिए गर्व की बात है कि आयुर्वेदिक पद्धति से ब्लड कैंसर की संभावित दवा तैयार की गई है। हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर परीक्षण सावधानीपूर्वक किया है। यह दवा भारतीय परंपरा और आधुनिक विज्ञान का संतुलित रूप है।

गौरी त्रिवेदी, जागरण, लखनऊ : सीएसआईआर के केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने ब्लड कैंसर जैसे जटिल रोग को जड़ी-बूटी से ठीक करने का सफल परीक्षण किया है। संस्थान के दावा है कि जड़ी-बूटी की मदद से तैयार की गई औषधि सिर्फ 28 दिन में ब्लड कैंसर को ठीक कर देगी। चूहों पर इसका बेहद कारगर प्रभाव दिखा है, अब ह्यूमन ट्रायल की तैयारी है।
ब्लड कैंसर का इलाज अब महीनों नहीं, सिर्फ 28 दिन में ठीक होगा। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) लखनऊ के वैज्ञानिकों ने जड़ी-बूटियों से एक ऐसी दवा तैयार की है, जो कम मात्रा में भी ब्लड कैंसर पर 80 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है। अभी इसका परीक्षण चूहों पर सफल रहा है और अब यह दवा मानव परीक्षण (ह्यूमन ट्रायल) की ओर बढ़ रही है।
इस दवा को पूरी तरह से आयुर्वेदिक पद्धति पर तैयार किया गया है। इसमें कोई ऐसा रसायन नहीं है जो शरीर को नुकसान पहुंचाए। यह दवा न केवल असरदार है, बल्कि शरीर में किसी तरह की विषाक्तता (टाक्सिसिटी) भी नहीं पैदा करती। इसे बनाने वाले मुख्य वैज्ञानिक डा. अरविंद सिंह नेगी ने बताया कि इसके प्रयोगशाला परीक्षण (लैब ट्रायल) के तीन चरण 7 दिन, 19 दिन और 28 दिन के अंतराल पर पूरे किए गए हैं ।
निदेशक, सीमैप डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कियह हमारे लिए गर्व की बात है कि आयुर्वेदिक पद्धति से ब्लड कैंसर की संभावित दवा तैयार की गई है। हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर परीक्षण सावधानीपूर्वक किया है। यह दवा भारतीय परंपरा और आधुनिक विज्ञान का संतुलित रूप है। हम इसे जल्द से जल्द मानव उपयोग के लिए लाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
कम डोज में ज्यादा असर
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस आयुर्वेदिक दवा की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बहुत कम मात्रा में भी ब्लड कैंसर को पूरी तरह ठीक कर सकती है। जबकि वर्तमान में जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, उनमें उच्च मात्रा (हाई डोज) में दवा देनी होती है, जिससे शरीर पर अन्य दुष्प्रभाव भी पड़ सकते हैं।
हर स्तर पर की गई सूक्ष्म जांच
दवा को बनाने से पहले यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी हानिकारक बैक्टीरिया या खाद्यजन्य तत्व (फूड प्लांट के माध्यम से) इसमें प्रवेश न करे। इसके लिए दवा को विशेष लैब में जांचा गया। डा. नेगी ने बताया हमने यह भी देखा कि कहीं ऐसा कोई बैक्टीरिया तो नहीं जो खाद्य पौधों की पत्तियों के माध्यम से इसमें मिल रहा हो। सभी पहलुओं को बारीकी से परखा गया।
किस स्थिति में है दवा
अभी यह दवा गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस (जी.एल.पी.) लैब से प्रमाणन की प्रक्रिया में है। इसके बाद इसे भारत के औषधि नियंत्रक महानियंत्रक (डी.सी.जी.आई.) यानी ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया के पास भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलने पर इसका मानव परीक्षण शुरू किया जाएगा। बाजार में आने में अभी लगभग दो वर्ष का समय लग सकता है।
अब तक बाजार में उपलब्ध ब्लड कैंसर की प्रमुख दवाएं
इमैटिनिब – क्रोनिक मायलोजेनस ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर का एक प्रकार) के लिए सबसे प्रचलित दवा।
डासाटिनिब और निलोटिनिब – इमैटिनिब की नई पीढ़ी की दवाएं।
कीमोथैरेपी (रासायनिक उपचार) – जैसे साइक्लोफास्फामाइड, फ्लूदाराबीन आदि।
सीएआर-टी सेल थैरेपी – रोगी की अपनी प्रतिरोधक कोशिकाओं को परिवर्तित कर कैंसर से लड़ने की नवीन तकनीक।
आयुर्वेदिक उपाय – अभी तक कोई प्रमाणिक और बाजार में उपलब्ध आयुर्वेदिक दवा नहीं थी, यह पहली बार है जब किसी वैज्ञानिक संस्था ने दावा किया है।
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