दैनिक जागरण में कविता के माध्यम से बच्चों ने पापा से जताया प्यार
दैनिक जागरण लखनऊ के माध्यम से बच्चों ने कविता के जरिये जताया पापा को प्यार।
लखनऊ, जेएनएन। किसी ने पिता के तपस्या को तो कुछ ने उनके जीवन के प्रति समर्पण को आदर्श मानते हुए उसे कविता में पिरोया।
दैनिक जागरण की ओर से आयोजित फादर्स डे पोयम राइटिंग कांटेस्ट में शहर भर से बच्चों के साथ साथ हर वर्ग के लोगों ने बड़ा ही अनूठे और स्नेहपूर्वक अंदाज में अपने पिता के सम्मान में उनके लिए प्यार भरी कविता लिखी और दैनिक जागरण संग साझा की। उनमें से ये हैं कुछ सबसे अच्छी भावनात्मक कविताएं...।
1. हाथों में तूने उठाया था जब,
कंधों पर अपने झुलाया था तब,
जब-जब इन आंखों ने देखना चाहा,
अपनी दुनिया से परिचित कराया था तब।
तेरी ही हथेली थाम कर, जब मैंने ये चौखट लांघी थी,
हर एक कदम पर, तूने मुझे सिखाई जिंदगी की सिख सयानी थी।
जब पहली बार यह पैर लडख़ड़ाया, तब तुमने जोर से थामा था।
तेरी हाथों की हर एक लकीर ने मानों, मुझे गिरकर उठना सिखाया था।
मेरी आंखों के हर एक आंसू को, तूने अपनी आंखों में सजाया था।
मेरी हर एक परेशानी को, तूने अपना मान कर मुझे उसे कोंसो दूर भगाया था।
मेरी जिंदगी को इससे ज्यादा खूबसूरत कोई और न कर पता।
मेरी हंसी के पीछे के कारण को, मैं कहना चाहती हूं।
आइ लव यू पापा।
हर्षिता यादव ( 10बी, सेठ एमआर जयपुरिया, गोमती नगर)
2.मेरे प्यारे पापा
छोटी-छोटी खुशियां मेरी, जिनके लिए जान से प्यारी।
वो हैं मेरे प्यारे पापा, मैं हूं उनकी राज दुलारी।
अच्छे-अच्छे काम करो तुम, पापा ने मुझको सिखाया।
सच्चा बोलो, मीठा बोलो हर दम मुझको यही बताया।
मेरी सारी बातों को वो, बिना कहे ही समझ हैं जाते,
अगर कभी मैं रूठूं उनसे बड़े प्यार से गले लगाते।
जीवन के हर कठिन डगर पर, थामेंगे वह मेरा हाथ।
नहीं डरूंगी-नहीं थकूंगी पापा हर पल जब मेरे साथ।
हे प्रभु ऐसी शक्ति देना, पापा का मैं मान बढ़ाऊं।
मेरे पापा मेरी प्रेरणा, नित-नित उनको सिर नवाऊं।
दर्शना शंकर (लोरेटो कान्वेंट स्कूल )
3. मां अगर धरती हैं तो आसमां हैं मेरे पापा।
हर घड़ी हर मुश्किल में साथ हैं मेरे पापा।
मेरी बेफिक्री, मेरे बेपरवाही के सरोकार हैं मेरे पापा।
मेरी ताकत, मेरी हिम्मत की पहचान हैं मेरे पापा।
सजा नहीं, प्यार से समझते हैं मेरे पापा।
हर इच्छा, मेरे हर जिद को पूरा करते हैं मेरे पापा।
मेरी खुशियां , मेरी दुनिया हैं मेरे पापा।
और क्या मांगूं मैं रब से, क्योंकि साथ हैं मेरे पापा।
आराध्या श्री श्रीवास्तवा ( कक्षा 6 ग, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल , गोमतीनगर शाखा )
4. मेरे जैसे पापा किसी के नहीं।
वही मेरे आसमां-वही मेरी जमीन हैं।
वो मेरे होठों की हंसी, मेरी आंखों की नमी हैं।
मेरे जैसे पापा किसी के नहीं हैं।
जिसने चलना सिखाया, वो वही हैं।
जिसने रुलाकर हंसाया वो वही हैं।
मेरे जैसे पापा किसी के नहीं हैं।
वही मेरा दु:ख, वही मेरी ख़ुशी हैं।
पलक रस्तोगी (कक्षा 10ए , लखनऊ पब्लिक स्कूल , माधौगंज)
5. मेरे प्यारे पापा।
मैं पापा की परी हूं प्यारी, बातें हम दोनों की न्यारी।
मेरे पापा हैं सबसे महान, मैं पापा की जान और शान।
मेरे खाबों को हैं पूरा करते, बिटिया - बिटिया दिन भर रटते।
मेरे पापा प्यार का सागर, मैं उनकी छोटी सी गागर।
जरा मुझे कुछ कष्ट जो होवे, पापा दिल ही दिल में रोये।
रखते बहार से अनुशासन, फूल सा कोमल, पापा का मन।
मुझमें उनमे मां है दिखती, उनकी दुनिया मुझसे है सजती।
मेरी शक्ति वो मेरा विश्वास, पापा के लाडों में मैं सबसे खास।
प्रज्ञा ( 7ए , लखनऊ पब्लिक स्कूल, माधौगंज )
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।