जर्मनी में लगी हिंदी की पाठशाला, लखनऊ के साहित्यकार से बोले बच्चे-रामायण, महाभारत और गीता अच्छी लगती है
लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जयसवाल संजय इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आनलाइन जुड़े। संजीव बताते हैं कि विदेश में प्रवास कर रहे बच्चों म ...और पढ़ें

लखनऊ, जागरण संवाददाता। यूरोप में रह रहे प्रवासी भारतीयों के बच्चों को अपने देश की संस्कृति और भाषा से जोडऩे के लिए जर्मनी की राजधानी बर्लिन में शनिवार को 'हिंदी की पाठशाला' का आयोजन किया गया। लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जायसवाल 'संजय' इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आनलाइन जुड़े। संजीव बताते हैं कि विदेश में प्रवास कर रहे बच्चों में भारत की संस्कृति को समझने और उससे जुडऩे का जबरदस्त उत्साह दिखा। कार्यक्रम में बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी उपस्थित हुए। बच्चों ने बताया कि वे रामायण, महाभारत और गीता से काफी प्रभावित हैं, उन्हें पढऩे तथा अपने देश के 135 करोड़ लोगों से जुडऩे के लिए वे जल्द से जल्द अच्छी हिंदी सीखना चाहते हैं।
इस दौरान बच्चों ने हिंदी के प्रतिष्ठित कवियों की रचनाओं के साथ-साथ स्वरचित कविताएं भी सुनाईं। इसके साथ गीता के 12वें अध्याय के श्लोकों के पाठ के साथ-साथ भरतनाट्यम की विशेषताओं पर भी चर्चा हुई। संजीव ने बताया कि भारत विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और ऋतुओं वाला लोकतांत्रिक देश है और हिंदी सबको एक सूत्र में जोडऩे की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। इसलिए विदेश में रहकर हिंदी सीखने का यह प्रयास प्रशंसनीय है। कार्यक्रम के अंत में संजीव ने भी अपनी कहानियां बच्चों को सुनाईं।
इस पाठशाला का आयोजन जर्मनी में प्रवास कर रही लिटरेरी इंट्लैक्ट्स एंड पोएट्स ऑफ इंडियन ओरिजिन (लिपि), यूरोप की अध्यक्ष डा. योजना जैन ने किया। संचालन डा. वीनस जैन का रहा। डा.योजना जैन ने बताया कि अगले सप्ताह से जर्मनी में हो रही गर्मियों की छुट्टियों के बाद अगस्त से वह प्रति सप्ताह नियमित रूप से हिंदी की पाठशाला का आयोजन करेंगी।

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