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    Heart Attack : सीना ही नहीं, पीठ का दर्द भी घातक

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 13 May 2019 04:47 PM (IST)

    कार्डियोथोरेसिक एंड वस्कुलर सर्जंस प्रोग्रेसिव वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कार्यशाला में हार्ट सर्जरी के विषय पर चर्चा की गई।

    Heart Attack : सीना ही नहीं, पीठ का दर्द भी घातक

    लखनऊ, जेएनएन। हृदय रोग में सीना ही नहीं, पीठ में भी दर्द होता है। बायीं तरफ अचानक उठने वाली भीषण पीड़ा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। कारण, यह हृदय में मौजूद शुद्ध रक्त ले जाने वाली धमनी एओटा में रेप्चर होने से होता है। ऐसे में समयगत ऑपरेशन न होने पर व्यक्ति के लिए जानलेवा बन जाता है। 

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    कार्डियोथोरेसिक एंड वस्कुलर सर्जंस प्रोग्रेसिव वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा गोमती नगर स्थित एक होटल में हार्ट सर्जरी पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान गुडग़ांव के डॉ. अनिल भान ने 'एओटिक डिसक्शन' पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, हाईपरटेंशन की समस्या व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। कारण, इससे हृदय में मौजूद रक्त वाहिका एओटा ब्लड प्रेशर से कमजोर हो जाती है। ऐसे में एओटा की अंदरूनी लेयर एंटिमा में रेप्चर हो जाता है। इससे रक्त बाहरी लेयर एडवेंटीसिया में भरने लगता है। लिहाजा, इस लेयर में रक्त भरने से एओटा पर दबाव बढ़ जाता है। लिहाजा, मुख्य धमनी से ब्रेन, हाथ, पैर, किडनी, फेफड़ा समेत सभी अंगों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। ऐसे में यह स्थिति जानलेवा बन जाती है।

    छह घंटे में ऑपरेशन आवश्यक

    सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान के हार्ट सर्जन डॉ. अमित चौधरी ने कहा कि एओटा में रेप्चर होने पर चिकित्सक को तुंरत अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन कराना चाहिए। इसमें छह घंटे में ऑपरेशन कर धमनी को रिपेयर करना जरूरी होता है अन्यथा मरीज की जिंदगी दांव पर लग जाती है। उन्होंने बताया कि इस समस्या से पीडि़तों की 24 घंटे में 25 फीसद, 72 घंटे में 50 फीसद, दो सप्ताह में 80 फीसद व महीनेभर में 90 फीसद मृत्यु हो जाती है। इसमें मरीज को सीने में दर्द, पीठ में तीव्र दर्द अचानक होता है। यह समस्या एक लाख में से दो फीसद व्यक्ति में होती है।

    अब हार्ट टीम से हृदय रोगियों का मैनेजमेंट

    लोहिया संस्थान के डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने कहा कि हार्ट रोगियों में इलाज के लिए बेहतर मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है। इसके लिए संस्थान में कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डियक सर्जनों ने मिलकर हार्ट टीम बनाई गई है। यह अब यूपी के अन्य संस्थानों में भी बनेगी। इसके जरिए सर्जन व विशेषज्ञ डायग्नोसिस के बाद अर्ली मैनेजमेंट तय करेंगे। इसमें मरीज की सर्जरी होनी है या एंजियोप्लास्टी करनी नी है, इसे तुंरत फाइनल किया जा सकेगा। मरीज को सर्जिकल व मेडिकल मैनेजमेंट की दिशा तुंरत तय होने पर उसका समय पर इलाज हो सकेगा। संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने हार्ट टीम के कार्य करने के लिए आवश्यक सभी संसाधन मुहैया कराने का दावा भी किया है।

    70 फीसद में हो रही एंजियोप्लास्टी 

    डॉ. भुवनचंद्र के मुताबिक बेहतर स्टेंट व तकनीक के अपग्रेड होने से मरीजों में सर्जरी की आवश्यकता कम पड़ रही है। स्थिति यह है कि 100 मरीजों में 70 को एंजियोप्लास्टी, 15 फीसद में सर्जरी व 15 फीसद रोगी को मेडिकल मैनेजमेंट की जरूरत होती है।

    रेडियो फ्रीक्वेंसी से सर्जरी का झंझट खत्म 

    भुवनेश्वर के डॉ. बीबी मिश्रा ने एट्रियल फेब्रिलेशन पर व्याख्यान दिया। इसमें वॉल्व खराब वाले मरीजों में हृदय तेजी से धड़कने लगता है। उसकी धड़कन बेकाबू हो जाती है। इसमें पहले हार्ट के दोनों एट्रियम के बीच के हिस्से को काटकर जोड़ा जाता था। वहीं अब रेडियो फ्रीक्वेंसी ऑब्लेटर मशीन से एट्रियक की मसल्स को जला देती हैं। इससे हार्ट की धड़कन नियमित हो जाती है।

    एसोसिएशन के अध्यक्ष एसजीपीजीआइ के डॉ. शांतनु पांडेय, उपाध्यक्ष डॉ. विजयंत, सचिव लोहिया संस्थान के डॉ. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि यूपी में 57 के करीब कार्डियक सर्जन हैं। यह अधिकतर लखनऊ, कानपुर व पश्चिम यूपी में कार्य कर रहे हैं। पूर्वी यूपी में इनका काफी संकट है। वहीं पांच सरकारी संस्थानों में सीटीवीएस में एमसीएच की नौ सीटें हैं। इनमें भी खाली जा रही हैं। कार्डियक सर्जन बनने से चिकित्सक बच रहे हैं। ऐसे में एसोसिएशन सरकार को कार्डियक सर्जरी के क्षेत्र में सुधार के लिए एक प्रस्ताव भी देगी। इसमें चिकित्सा संस्थानों में हार्ट टीम गठन का भी सुझाव होगा।

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