Chandra Grahan-Pritpaksh 2025: चंद्र ग्रहण काल में पितृ कर्म मान्य, जप का मिलता है एक लाख गुणा अधिक फल
Chandra Grahan And Pritpaksh 2025 पूर्णिमा के दिन ही श्राद्ध और खग्रास चंद्रग्रहण के सूतक को लेकर लोगों के मन में ऊहापोह है किंतु काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव होता ही नहीं। इसी दिन मातृकुल के पितरों का तर्पण करने का विधान है।

डिजिटल डेस्क, जागरण, लखनऊ: वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण रविवार से प्रारंभ हो गया। दोपहर 12:57 से सूतक आरंभ हो गया और चंद्रग्रहण को स्पर्श रात 9:57 से और मोक्ष रात 1:27 बजे से होगा। चंद्रग्रहण के सूतक का पितृपक्ष पर प्रभाव नहीं होगा।
खग्रास चंद्रग्रहण का दर्शन पूरा भारत करेगा। इसका भारत में प्रभाव लगभग 3:30 घंटे होगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले प्रारंभ होगा। यह विशेष ग्रहण पितृपक्ष में लग रहा है और इस ग्रहण काल में पितृकर्म मान्य हैं और इसके जप का फल एक लाख गुना अधिक मिलता है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय का मानना है कि ग्रहण के स्पर्श, मध्य व मोक्ष काल में स्नान करने के साथ साधना और दान करें। सूतक काल में भोजन वर्जित है और इस दौरान गर्भवती महिलाएं बाहर न निकलें और ना ही निद्रा लें।
मातृकुल के पितरों को तर्पण संग होगा पूर्णिमा का श्राद्ध
खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा रविवार की रात में लगेगा। इस दौरान पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान भी उसी दिन से आरंभ होंगे। इसी दिन मातृकुल के पितरों का तर्पण करने का विधान है। पूर्णिमा के दिन ही श्राद्ध और खग्रास चंद्रग्रहण के सूतक को लेकर लोगों के मन में ऊहापोह है, किंतु काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव होता ही नहीं।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री और बीएचयू ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि चंद्रग्रहण या उसके सूतक का प्रभाव पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध कर्म पर नहीं होता। इस बार खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण से भी बड़ा होता है और चंद्रमा को पूरी तरह आच्छादित तो कर ही लेता है, खग यानी आकाश के कुछ हिस्से को भी ढक लेता है, इसलिए इसे खग्रास चंद्रग्रहण कहते हैं।
चंद्रमा रक्त वर्ण यानी लाल रंग का दिखता है। विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष पांडेय ने भी कहा कि सूतक अथवा ग्रहण काल में श्राद्ध कर्म का कहीं भी निषेध नहीं किया गया है। सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है और श्राद्ध कर्म पूर्वाह्न में ही कर लिया जाता हैं, लेकिन कभी ग्रहण या सूतक पूर्वाह्नव्यापिनी हो तो भी श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं होता।
चंद्रगहण का स्पर्श रात 9:57 बजे से होगा और मोक्ष रात 1:27 बजे होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 11:49 बजे होगा। उन्होंने बताया कि सूतक के पूर्व ही भोजनादि कर लेना चाहिए। इसके पश्चात ग्रहण मोक्ष के उपरांत ही भोज्य पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं। ग्रहण काल में बनाया गया भोजन भी दूषित माना जाता है। बालक, वृद्ध, रोगी के लिए सूतक या भोजन निषेध नहीं लागू होता। ग्रहण काल में घी या दूध से बने भोज्य पदार्थों में तुलसी दल या कुश डाल कर रख दें।
इससे उस भोज्य पदार्थ पर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता। ग्रहण काल में देव विग्रहों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूतक आरंभ होने के पूर्व ही मंदिर या घरों के पूजा स्थल में पूजा-अर्चन कर वहां का पट बंद कर दें या पर्दा डाल दें। ग्रहण मोक्ष के उपरांत स्नानादि से शुद्ध होकर देवालयों या घर के पूजागृहों की साफ-सफाई कर देव विग्रहों को स्नान कर उनके वस्त्र, पर्दे आदि बदल दें, तत्पश्चात पूजन-अर्चन और दान-पुण्य करें।
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण न केवल भारत में बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश में चंद्र ग्रहण 2025 का सूतक कब लगेगा, शहर के अनुसार समय
शहर का नाम चंद्र ग्रहण 2025 सूतक समय
लखनऊ दोपहर 12:04 से देर रात 01:26 तक
कानपुर दोपहर 12:06 से देर रात 01:26 तक
गाजियाबाद दोपहर 12:18 से देर रात 01:26 तक
वाराणसी सुबह 11:56 से देर रात 01:26 तक
गोरखपुर सुबह 11:54 से देर रात 01:26 तक
बरेली दोपहर 12:10 से देर रात 01:26 तक।
पूरे देश में दिखेगा पूर्ण चंद्रग्रहण, चंद्रमा लाल रंग का होगा
रविवार को होने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण पूरे देश में दिखाई देगा। रात 8:58 बजे से यह खगोलीय घटना शुरू होगी। 11 बजे पूर्ण ग्रहण होगा, इस दौरान चंद्रमा लाल रंग का नजर आएगा। ग्रहण का समापन रात 2:25 बजे होगा। कुल ग्रहण काल पांच घंटे 27 मिनट का होगा। चूंकि इस दौरान चंद्रमा लाल रंग का होगा, इसीलिए इसे ब्लड मून की संज्ञा दी गई है।
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