सीबीआइ ने रोहतास ग्रुप के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा, लखनऊ में 9 करोड़ रुपये की बैंक ठगी का मामला
CBI files case against Rohtas Group केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने रोहतास ग्रुप के खिलाफ लखनऊ में नौ करोड़ बैंक ठगी का मुकदमा दर्ज किया है। सीबीआइ ने यह कार्रवाई आइडीबीआइ की शिकायत पर की है। इस मामले में जांच भी शुरू हो गई है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने रोहतास ग्रुप के संचालकों के विरुद्ध बैंक की नौ करोड़ रुपये से अधिक रकम हड़पने के मामले में अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज किये हैं। आइडीबीआइ बैंक की शिकायत पर सीबीआइ ने केस दर्ज कर जांच शुरू की है। सीबीआइ इससे पूर्व भी रोहतास ग्रुप के विरुद्ध बैंक फ्राड के केस दर्ज कर चुकी है।
करोड़ों रुपये की ठगी के यह मामले लखनऊ के जहांगीराबाद पैलस स्थित आइडीबीआइ बैंक की शाखा से जुड़े हैं। सीबीआइ ने अपने केस में रोहतास ग्रुप के निदेशकों द्वारा संचालित हाइड्रिक फार्म इनपुट लिमिटेड कंपनी के निदेशक दीपक रस्तोगी, पीयूष रस्तोगी, पंकज रस्तोगी, परेश रस्तोगी, रोहतास प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, फोरटेक बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड, एंडेस टाउन प्लानर्स प्राइवेट लिमिटेड, क्लेरियोन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड व अज्ञात बैंक अधिकारियों को नामजद किया है। आइडीबीआइ बैंक के डीजीएम अनुराग वर्मा की शिकायत पर सीबीआइ ने अपनी कार्रवाई शुरू की है।
आरोप है कि रोहतास ग्रुप व उससे जुड़ी कंपनियों ने आइडीबीआइ बैंक के साथ पांच करोड़ रुपये व 4.25 करोड़ रूपये की ठगी की है। कंपनियों के निदेशकों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किये, जिनकी मदद से कई संपत्तियों को गिरवी रखकर वर्ष 2014 में कर्ज लिया था। बाद में बैंक से ली गई रकम को दूसरे खातों में डायवर्ट कर दिया गया। क्लेरियोन प्रोजेक्ट्स कंपनी ने विभूति खंड स्थित रोहतास प्रेसिडेंशियल टावर कम प्रेसिडेंशियल आर्केड का करीब 24 हजार वर्ग फीट व्यवसायिक भूखंड व कुछ अन्य संपत्तियों को बैंक में बंधक रखकर पांच करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।
वर्ष 2017 में कंपनी ने बैंक की ईएमआइ चुकाना बंद कर दिया और फिर उसके खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया। इसी तरह हाइड्रिक फार्म इनपुट लिमिटेड के निदेशकों ने भी लखनऊ के विभूतिखंड स्थित करीब 24 हजार वर्ग फीड व्यवसायिक भूखंड को बैंक में बंधक रखकर 4.25 करोड़ रूपये का कर्ज लिया था। इस संपत्ति की सेल डीड जमा करने में असमर्थ होने पर कंपनी ने बैंक में अपनी पांच अन्य संपत्तियों को बंधक रखा था। इस कर्ज की ईएमआइ भी वर्ष 2017 में चुकानी बंद कर दी गई और उसके बाद फर्म के खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया था।

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