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    इंडियन ओवरसीज बैंक घोटाले में मुंबई की कंपनी पर CBI ने दर्ज किया केस, कानपुर के दो व्यक्ति नामजद

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jul 2020 06:08 AM (IST)

    इंडियन ओवरसीज बैंक लखनऊ के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक निरंजन पांडा की शिकायत पर दर्ज किए गए मुकदमे में कानपुर के दो व्यक्ति नामजद हैं जबकि अन्य अज्ञात है ...और पढ़ें

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    इंडियन ओवरसीज बैंक घोटाले में मुंबई की कंपनी पर CBI ने दर्ज किया केस, कानपुर के दो व्यक्ति नामजद

    लखनऊ, जेएनएन। बैंक फ्रॉड के मामले में सीबीआई लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने मुंबई की एक निजी कंपनी पर शिकंजा कस दिया है। इंडियन ओवरसीज बैंक लखनऊ के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक निरंजन पांडा की शिकायत पर दर्ज किए गए मुकदमे में कानपुर के दो व्यक्ति नामजद हैं, जबकि अन्य अज्ञात हैं। सीबीआई ने मुंबई के कुर्ला स्थित कंपनी ओलंपिक ऑयल इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुड़े कानपुर के आजाद नगर निवासी निपुण वर्मा और स्वरूप नगर निवासी शरद भरतिया व अज्ञात बैंक व सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

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    फ्रॉड के मामले में इंडियन ओवरसीज बैंक ने सात जुलाई को सीबीआई को शिकायत सौंपी थी, जिसकी पड़ताल के बाद कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई की पड़ताल में सामने आया है कि कंपनी कृषि उत्पादों, लैपटॉप, इनवर्टर, कोल, पॉलीमर, मेटल्स, पेपर, एल्यूमिनियम फॉइल, कम्प्यूटर्स और खनिज के व्यवसाय से जुड़ी है। कंपनी और इसके निदेशकों ने इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ कई एग्रीमेंट कर करोड़ों रुपये का लोन लिया था। इस लोन को दूसरी जगहों पर निवेश कर दिया गया।

    इंडियन ओवरसीज बैंक समेत कई बैंकों के कंसोर्टियम ने कंपनी को करीब दो हजार करोड़ रुपये की बैंक लिमिट दे रखी थी। कंपनी ने लिमिट और लोन की रकम को दूसरी कंपनियों को असुरक्षित कर्ज के रूप में बांट दिया। कई कंपनियों में फर्जी लेन-देन, खरीद-फरोख्त दिखाई। बैंकों ने जब लोन व लिमिट की रकम का हिसाब मांगा तो खरीद-फरोख्त संबंधी फर्जी दस्तावेज पेश कर दिए। आशंका है कि कंपनी ने फर्जी कंपनियां बनाकर हवाला के माध्यम से रकम को विदेश में निवेश कर दिया।

    इंडियन ओवरसीज बैंक ने अपने स्तर से कंपनी की जांच कराई। जांच में खुलासा हुआ कि इससे बैंक को करीब छह करोड़ 76 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद कंपनी के खाते को एनपीए घोषित कर मामला सीबीआई जांच के लिए भेज दिया। कंपनी ने अलग-अलग बैंकों से करीब 2000 करोड़ की लिमिट बनवा रखी थी, इसलिए आशंका है कि अन्य बैंकों की शिकायत के बाद ये घोटाला कई सौ करोड़ का निकलेगा।