CBI Raid: यूपी के 3 जिलों में सीबीआई की छापामारी, कमीशनखोरी में तीन रेल कर्मियों समेत पांच को किया गिरफ्तार
उत्तर रेलवे के गति शक्ति प्रोजेक्ट में कमीशनखोरी के मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई गिरफ्तारियां की हैं जिनमें डिप्टी चीफ इंजीनियर और कंपनी संचालक शामिल हैं। भदोही में चल रहे काम के बिलों के भुगतान के लिए रेलवे अधिकारियों द्वारा लाखों की वसूली की जा रही थी। छापेमारी में घूस की रकम और संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर रेलवे के गति शक्ति प्रोजेक्ट में कमीशनखोरी के मामले में सीबीअाइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (ड्राइंग) अशोक रंजन व कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा के अलावा टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक प्रवीण कुमार सिंह व कर्मचारी जिमी सिंह को गिरफ्तार किया है।
जबकि नार्दन रेलवे के अभियंता केके मिश्रा की तलाश की जा रही है। भदोही में चल रहे काम के बिलों का भुगतान कराने के लिए रेलवे के लखनऊ व वाराणसी में तैनात अधिकारी कंपनी संचालक से लाखों रुपये वसूल रहे थे। सीबीआइ ने मामले में नौ नामजद आरोपितों समेत अन्य अज्ञात के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है।
इनमें विवेक कुशवाहा के अलावा वाराणसी के वरिष्ठ मंडल अभियंता (समन्वय) राकेश रंजन, वाराणसी के कार्यालय अधीक्षक मनीष, वाराणसी के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (वक्र्स) अभिषेक गुप्ता, वाराणसी में लेखा अनुभाग में तैनात योगेश गुप्ता, वाराणसी में सहायक अभियंता कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक सुशील कुमार राय, नई दिल्ली की टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, उसके संचालक प्रवीण कुमार सिंह व कर्मचारी जिमी सिंह के नाम शामिल हैं।
सीबीआइ ने पांचों गिरफ्तार आरोपितों को मंगलवार को लखनऊ स्थित विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। सीबीआइ ने मामले में सोमवार शाम डीआरएम आफिस समेत अन्य स्थानों पर छानबीन शुरू की थी।
लखनऊ में चार, वाराणसी में छह व गाजियाबाद में एक स्थान पर छापेमारी की गई। इस दौरान आरोपित विवेक कुशवाहा के पास से ढाई लाख रुपये व अंजुम निशा के पास से 80 हजार रुपये बरामद हुए। यह रकम कंपनी के कर्मचारी जिमी सिंह ने उन्हें बतौर घूस दी थी। अंजुम को दी गई रकम का हिस्सा सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक रंजन को दिया जाना था।
छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। इनमें संपत्तियों के दस्तावेज भी शामिल हैं। सीबीआइ के अनुसार अभियंता केके मिश्रा को भी 2.75 लाख रुपये घूस दी गई थी। उसकी तलाश की जा रही है। टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत भदोही में काम लिया था। जिसमें रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से धांधली हो रही थी।
सीबीआइ को बिल पास कराने के नाम पर लाखों की कमीशनखोरी की शिकायत मिली थी। गोपनीय सूचना थी कि जिमी सिंह सोमवार को रेल अधिकारियों काे लाखों रुपये देने लखनऊ आ रहा है। इस पर सीबीआइ ने अपना जाल बिछाकर कार्रवाई की।
जांच में यह भी सामने आया कि पिछले माह भी प्रवीण कुमार सिंह ने जिमी सिंह के माध्यम से रेल अधिकारियों को लाखों रुपये कमीशन पहुंचाया था। सीबीआइ मामले में कई अन्य रेल अधिकारियों व कर्मियों को लेकर भी छानबीन कर रही है।
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