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    UPPCL: बिजली कंपनियों के निजीकरण पर CAG का बड़ा दांव, मसौदे- दस्तावेज तलब... प्रबंधन में मचा हड़कंप

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 08:43 PM (IST)

    लखनऊ पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगमों के निजीकरण से पहले सीएजी ने मसौदे और दस्तावेजों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिससे पावर कॉरपोरेशन में हड़कंप है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि यह सरकारी धन का दुरुपयोग है क्योंकि कंपनियों पर हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी उन्हें बेचा जा रहा है। परिषद ने निजीकरण की जांच कराने की मांग की है।

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    सीएजी ने तलब किए बिजली निजीकरण के दस्तावेज।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने से पहले ही इसके मसौदे तथा निजीकरण से संबंधित अन्य दस्तावेजों के साथ विस्तृत रिपोर्ट भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने मांगे हैं।

    दस्तावेजों के लिए सीएजी ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त को पत्र भेजा है। सीएजी द्वारा रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद से पावर कारपोरेशन प्रबंधन में हड़कंप की स्थिति है।

    पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग ने सीएजी का पत्र मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इस समय वित्तीय वर्ष 2024-25 की आडिट सीएजी द्वारा की जा रही है। आडिट के क्रम में सामान्य प्रक्रिया के तहत सीएजी ने निजीकरण के मसौदे के साथ ही अन्य दस्तावेजों की जानकारी मांगे हैं।

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    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि सीएजी द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद 42 जिलों की बिजली के निजीकरण पर संकट के बादल छा गए हैं। सीएजी ने निजीकरण मसौदे की पत्रावली तथा अन्य दस्तावेजों को तलब किया है।

    इस मामले की छानबीन सीएजी द्वारा किए जाने पर भ्रष्टाचारियों का फंसना तय है। पत्र मिलने के बाद से पावर कारपोरेशन प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। यह पूरा मामला सरकारी धन के दुरुपयोग का है। भारत सरकार से मिले 44,094 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी बिजली कंपनियों को निजी हाथों में बेचना सीधे तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग है।

    दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 7,434 करोड़ रुपये और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 9,481 करोड़ खर्च किए गए हैं। इसके बाद भी इन दोनों कंपनियों को बेचा जा रहा है।

    उन्होंने कहा है कि जून महीने में उपभोक्ता परिषद की तरफ से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजकर निजीकरण मामले की जांच सीबीआइ या सीएजी से कराने की मांग की गई थी। ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार निजीकरण होने से पहले ही मसौदे को सीएजी द्वारा तलब किया गया है।

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