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    बसपा में जोनल व्यवस्था खत्म, मुनकाद अली-विजय प्रताप और राज कुमार बने स्टेट कोआर्डिनेटर

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 16 Apr 2022 11:55 PM (IST)

    बहुजन समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने एक बार फिर संगठन की संरचना में बदलाव किया है। उन्‍होंने पार्टी में जोनल व्यवस्था खत्म करते हुए जोनल कोआर्डिनेटर का पद समाप्त कर दिया है। अब सिर्फ मंडल प्रभारी रहेंगे।

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    बसपा सुप्रीमो मायावती ने सभी 18 मंडलों में बनाए तीन-तीन मंडल प्रभारी।

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश में जुटी पार्टी प्रमुख मायावती ने एक बार फिर संगठन की संरचना में बदलाव किया है। पार्टी में जोनल व्यवस्था खत्म करने के साथ ही जोनल कोआर्डिनेटर के पद समाप्त कर दिए गए हैं। अब सिर्फ मंडल प्रभारी ही रहेंगे। प्रत्येक मंडल के तीन-तीन प्रभारी होंगे। इसके साथ ही मुनकाद अली, विजय प्रताप और राज कुमार गौतम राज्य स्तरीय कोआर्डिनेटर बनाए गए गए हैं जो कि सभी मंडलों में संगठन के विस्तार पर नजर रखेंगे।

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    मायावती ने तीन अप्रैल को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में सभी भाईचारा कमेटियां भंग करने के साथ ही नए तरह से जोन व्यवस्था लागू की थी। तीन मंडलों पर एक जोन बनाते हुए जोनल कोआर्डिनेटर बनाए गए थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस व्यवस्था से जहां जोनल कोआर्डिनेटर का क्षेत्र बड़ा हो रहा था वहीं मंडल और जोन के बनाए गए पदाधिकारियों में वरिष्ठता को लेकर मन-मुटाव दिख रहा था।

    ऐसे में बसपा प्रमुख ने जोनल व्यवस्था खत्म करते हुए लगभग एक दशक पहले वाली मंडल प्रभारी व्यवस्था को ही बनाए रखने का निर्णय किया है। भाईचारा कमेटियों के पदाधिकारियों को मंडल में जगह दी गई है। पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है की कांशीराम ने मंडल प्रभारी व्यवस्था के दम पर ही बसपा को काफी आगे तक बढ़ाया था। प्रत्याशियों के चयन से लेकर पार्टी की जीत-हार में प्रभारियों की ही अहम भूमिका और जिम्मेदारी होती थी।

    मंडल प्रभारी की अब की गई व्यवस्था में राज्य के 18 मंडलों में से प्रत्येक में तीन-तीन प्रभारी बनाए गए हैं ताकि मंडल में शामिल जिलों के दूर-दराज वाले क्षेत्रों में भी संगठन का ठीक से विस्तार किया जा सके। मायावती की कोशिश है कि इस साल के अंत में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में उसका पहले से बेहतर प्रदर्शन रहे। दो वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में एक दशक पहले वाली नौबत न आए।

    विदित हो कि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में पार्टी शून्य पर सिमट कर रह गई थी। हालांकि, वर्ष 2019 में सपा-रालोद से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी पार्टी के 10 सांसद जीते थे। हाल के विधानसभा चुनाव में पार्टी का मात्र एक विधायक चुना गया है।