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    मायावती ने केंद्र सरकार से की वक्फ कानून स्थगित करने की मांग, बोलीं- आतंकियों के खिलाफ हो सख्त कानूनी कार्रवाई

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Thu, 10 Apr 2025 07:24 PM (IST)

    बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने नए वक्फ कानून के तहत राज्यों के वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम लोगों को रखे जाने के प्रावधान को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम समाज में इसका भारी विरोध है। बसपा की मांग है कि केंद्र सरकार वक्फ कानून को फिलहाल स्थगित करते हुए इस पर समुचित पुनर्विचार करे।

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    ब्यूरो: वक्फ कानून को स्थगित करते हुए पुनर्विचार करे केंद्र: मायावती

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नये वक्फ कानून के तहत राज्यों के वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम लोगों को रखे जाने के प्रविधान को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम समाज में इसका भारी विरोध है। बसपा की मांग है कि केंद्र सरकार वक्फ कानून को फिलहाल स्थगित करते हुए इस पर समुचित पुनर्विचार करे।

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    गुरुवार को लखनऊ में मीडिया से बातचीत में मायावती ने डा. भीमराव अंबेडकर जयंती, बोधगया महाबोधि मंदिर, वक्फ कानून और भारतीयों की सुरक्षा के मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने तीन दिन पहले ही डा. अंबेडकर की जयंती की तिथि 14 अप्रैल को याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया।

    कहा कि डा. अंबेडकर ने अनेकों कष्ट झेलकर अपना जीवन देश में जातिवादी-व्यवस्था के शिकार रहे लोगों को आत्मसम्मान व स्वाभिमान भरा जीवन देने में समर्पित किया। संविधान में हर स्तर पर कानूनी अधिकार भी दिए हैं। दुख की बात है कि केंद्र व राज्यों की अब तक रही अधिकांश सरकारों में इस वर्ग को पूरा लाभ नहीं मिला।

    बसपा के साथ चलें बाबा साहब के अनुयायी: मायावती

    पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस, भाजपा व अन्य जातिवादी पार्टियां बाबा साहब के जन्मदिन के मौके पर उनके अनुयायियों को लुभाने के लिए कई तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर रहीं हैं। बाबा साहब के अनुयायियों से कहा कि इनके बहकावे में न आकर बसपा के बताए रास्ते पर चलें और बाबा साहब के अधूरे कारवां को मंजिल तक पहुंचाने का काम करें।

    मायावती ने कहा कि डा. अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 में अनुयायियों के साथ धर्म परिवर्तन करके बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। उसे भी अब जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं। बिहार के बोधगया में स्थित बौद्ध तीर्थ स्थल में सरकारी व गैर-सरकारी स्तर पर गैर बौद्ध धर्म को मानने वालों के बढ़ते प्रभाव व दखल से बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों में आक्रोश है।

    ये लोग कांग्रेस की सरकार के दौरान् 1949 में बने बोधगया मंदिर प्रबंधन कानून में परिवर्तन की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलित हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा बोधगया मंदिर प्रबंधन के संबंध में जो कानून बनाया गया था उसमें जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार हिंदू व चार बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों की कमेटी बनाने का प्रविधान है। यह पहली नजर में अनुचित व भेदभावपूर्ण लगता है।

    बौद्ध धर्म मानने वालों की मांग है कि मंदिर में पूजापाठ, उसकी सुरक्षा व संरक्षण आदि की पूरी जिम्मेदारी बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों को सौंपी जाए। केंद्र व बिहार की एनडीए सरकार को इसमें तत्काल आवश्यक सुधार करना चाहिए।

    मायावती ने कहा है कि भारत व भारतीयों की सुरक्षा के लिए केंद्र व सभी राज्य सरकारों को आतंकियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ को छोड़कर भारतीय कानून के तहत निष्पक्ष, ईमानदार व सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। यह देश के नागरिकों के हित में होगा।

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