Interview: ब्रजेश पाठक बोले- यूपी में सरकारी डॉक्टरों को मिल सकती है निजी प्रैक्टिस की छूट, सरकार कर रही विचार
सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की छूट मिल सकती है। प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी डॉक्टरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार शर्तों के साथ निजी प्रैक्टिस की अनुमति देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा सरकार एसजीपीजीआई केजीएमयू और लोहिया संस्थान जैसे बड़े अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और संसाधनों को बढ़ाने के लिए जल्द ही जरूरी कदम उठाएगी।

लखनऊ, जागरण संवाददाता: सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की छूट मिल सकती है। प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी डॉक्टरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार शर्तों के साथ निजी प्रैक्टिस की अनुमति देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, सरकार एसजीपीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान जैसे बड़े अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और संसाधनों को बढ़ाने के लिए जल्द ही जरूरी कदम उठाएगी। यह कहना है उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दैनिक जागरण के संवाददाता विकास मिश्र ने उनसे बात की।
प्रश्न: एसजीपीजीआई, केजीएमयू और लोहिया जैसे बड़े संस्थानों में दिल की सर्जरी और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लंबी वेटिंग है। यही हाल लिवर प्रत्यारोपण को लेकर है। मरीजों को कैसे राहत मिलेगी?
उत्तर: कुछ साल पहले स्थिति बेहद खराब थी। अब सुधार हो रहा है। बड़े संस्थानों में विशेषज्ञ चिकित्सकों और संसाधनों को मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। एसजीपीजीआई में अगले सप्ताह से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हो रहा है। इसके अलावा लोहिया संस्थान में सेंटर फार ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी है। केजीएमयू में किडनी प्रत्यारोपण में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रश्न: डॉक्टर लगातार निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। डॉक्टरों को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
उत्तर: सरकार इसको लेकर बेहद गंभीर है। एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान और केजीएमयू में विशेषज्ञ डॉक्टरों को तैनात किया जा रहा है। भविष्य में चिकित्सकों की सुविधाओं को और बेहतर करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे वे निजी संस्थानों का रुख न करें। इसके अलावा सरकार इस बात पर भी मंथन कर रही है कि डॉक्टरों को कुछ शर्तों के साथ प्रैक्टिस करने की छूट दी जाए।
प्रश्न: चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की बेहद कमी है। सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए क्या कर रही है?
उत्तर: स्वास्थ्य विभाग ने रिवर्स बिडिंग के जरिए चयनित 100 विशेषज्ञ चिकित्सकों की जिला अस्पतालों में तैनाती दी है। इनमें हृदय और न्यूरो के डॉक्टर शामिल हैं। इन डॉक्टरों का वेतन प्रतिमाह पांच लाख रुपये होगा। प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैकेज पर डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है।
प्रश्न: जिला अस्पतालों से मरीजों को रेफर किया जा रहा है, जिससे बड़े अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है?
उत्तर: जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के चलते ऐसा हो रहा था। जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए एनएचएम के जरिए 1190 विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया हाल ही में शुरू की गई है। इस क्रम में कई जिलों में डॉक्टरों की तैनाती हो गई है। मरीजों को बेवजह रेफर न करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रश्न: जिला अस्पतालों में एमआरआई की सुविधा नहीं है। इस दिशा में क्या कदम उठाए जाएंगे?
उत्तर: हाल ही में प्रदेश के कई जिला अस्पतालों में एमआरआई मशीन लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल भी शामिल है। प्रदेश के 72 जिला अस्पतालों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर सीटी स्कैन मशीनें लगाई जा रही हैं।
प्रश्न: प्रदेश में एक साथ कई मेडिकल कालेज तो खुल रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों और सुविधाओं का अभाव है?
उत्तर: मेडिकल कॉलेजों में संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य में उत्तर प्रदेश पूरे देश के लिए रोल मॉडल बनेगा। स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार है।

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