UP: खेती की जमीन का उपयोग बदलने के लिए नहीं बनानी होगी बाउंड्रीवॉल, अध्यादेश को राज्यपाल ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश में खेती की जमीन के गैर कृषिक उपयोग के लिए अब भूमि की चहारदीवारी नहीं बनानी होगी। योगी सरकार ने कृषि भूमि के गैर कृषिक इस्तेमाल के लिए जमीन की चहारदीवारी बनाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में खेती की जमीन के गैर कृषिक उपयोग के लिए अब भूमि की चहारदीवारी नहीं बनानी होगी। योगी सरकार ने कृषि भूमि के गैर कृषिक इस्तेमाल के लिए जमीन की चहारदीवारी बनाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। कैबिनेट की ओर से उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दिये जाने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 80 (2) के तहत खेती की जमीन के गैर कृषिक इस्तेमाल के लिए उस जमीन के चारों ओर चहारदीवारी बनाना जरूरी था। इस प्राविधान की आड़ लेकर ग्राम प्रधान और राजस्व कार्मिक गैर कृषिक इस्तेमाल के लिए खेती की जमीन लेेने वाले विकासकर्ताओं का शोषण कर रहे थे। ऐसी शिकायतें मिलने पर शासन ने चहारदीवारी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है।
अध्यादेश के प्रभावी होने पर शासन की पूर्वानुमति के बिना 12.5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि खरीदने पर इसे विनियमित कराने के लिए जमीन के सर्किल रेट का 10 फीसद ही जुर्माना देना होगा। अभी तक ऐसा करने पर सर्किल रेट का 50 प्रतिशत जुर्माना देना पड़ता था।
अब यदि किसी ने राज्य सरकार की मंजूरी के बिना 12.5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि खरीद ली है और उसने ऐसा उस जमीन पर विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए किया है तो राज्य सरकार उसे 10 फीसद जुर्माने से छूट भी दे सकती है। अध्यादेश के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औाद्योगिक विकास प्राधिकरण को स्थानीय प्राधिकरण का दर्जा दे दिया गया है।